नई दिल्ली, 29 अगस्त | सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ से कहा है कि शराब कारोबारी विजय माल्या की उस याचिका का जवाब दें जिसमें उन्होंने अवमानना की नोटिस को वापस लेने की मांग की है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद माल्या द्वारा अपनी और अपने परिवार की संपत्तियों का खुलासा नहीं करने की वजह से अवमानना याचिका दायर की गई है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की खंडपीठ ने एसबीआई को 10 दिन का समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया है। अदालत ने माल्या को इस पर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर 2016 की तारीख तय की है।
माल्या के वकील महेश अग्रवाल ने कहा कि शराब कारोबारी का तर्क है कि संपत्ति का खुलासा बैंकों की बकाया राशि के निपटान के लिए था। चूंकि किसी तरह का समझौता नहीं हो पा रहा है, ऐसे में उन्हें खुलासे के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता और इस वजह से संपत्ति का खुलासा नहीं करने से अदालत की कोई अवमानना नहीं हुई है।
महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत से कहा कि आदेश को वापस लेने की माल्या की याचिका को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। वह (माल्या) अदालत के अवमानना नोटिस का जवाब देने के लिए खुद मौजूद होने में नाकाम रहे हैं। लेकिन, न्यायमूर्ति नरीमन ने रोहतगी को माल्या की अर्जी का जवाब देने के लिए कहा ताकि अवमानना के इस मामले में बहस पूरी हो।
Follow @JansamacharNews