‘इरावती’ का 15वां अंक रवीन्द्र कालिया को समर्पित

09022016 Iravati coverशिमला 9, फरवरी । हाल ही में दिवंगत हुए जाने माने लेखक रवीन्द्र कालिया को साहित्यिक पत्रिका ‘इरावती’ का ताजा अंक-15 समर्पित है। लम्बे अन्तराल के बाद प्रकाशित अंक में हिमाचल के रामदयाल नीरज, सरोज वशिष्ठ और कांता शर्मा को भी याद किया गया है जो गत् वर्ष के अंत में  बिछुड़ गए।

पत्रिका के सम्पादक राजेन्द्र राजन ने आज यहां बताया कि इस अंक में रवीन्द्र कालिया का एक यादगारी संस्मरण ‘गालिब छुटी शराब’ शामिल है तो सूरज पालीवाल का विवेचनात्मक आलेख ‘विमर्शों से अलग स्त्राी’ भी पठनीय हैै। ख्याति प्राप्त युवा कवि जितेन्द्र श्रीवास्तव अंक के प्रमुख कवि हैं। उनकी 10 कविताएं ली गई हैं। कविता खंड में ही अरूण शीतांश, सरोज परमार, ब्रहमानन्द देवरानी की कवितओं के इलावा नलिनी विभा नाज़ली की गज़लों ने इस अंक का समृद्ध किया है।

कहानियों में रंजना श्रीवास्तव की ‘ताजमहल अब भी जि़न्दा है’, प्रिया आनन्द की ‘चन्दरगंध’, मृदुला श्रीवास्तव की ‘खिलौनेवाला’ और गुरमीत बेदी की ‘दस्तक’ सम्मिलित हैं।

तीन संस्मरण भी इस अंक की उपलब्धि हैं जो पत्रिका को और अधिक रोचक बनाते हैं। इसके लेखक हैं ज्ञान प्रकाश विवेक, दयाशंकर शुक्ल सागर और शक्ति सुमन। शायर साहिर लुधियानवी पर संस्मरणात्मक लेख महत्वपूर्ण बन पड़ा है। अन्य लेखों में सुरेश सेन निशांत का ‘कविता से जन की दूरी क्यों’ और ‘भेदभाव के दंश को झेलता कवायली समाज’ हिमाचल में प्राॅपर्टी राइट्स की जंग लड़ रही महिलाओं की पीड़ा को सामने लाता है।

श्रीनिवास जोशी ने स्मृति शेष में रामदयाल नीरज़ के व्यक्तित्व व कृतित्व पर टिप्पणी की है तो संपादक ने सरोज वशिष्ठ को भी स्मरण किया है।

कुल मिलाकर दस साल में इरावती ने 15 अंक प्रकाशित कर जहां एक ओर हिमाचल और देश के अन्य युवा व नवोदित लेखकों की खोज कर अभिव्यक्ति के लिए उन्हें सार्थक मंच प्रदान किया है वहीं राष्ट्रीय साहित्यिक पफलक पर पत्रिका ने विशिष्ट पहचान अर्जित की है।