नई दिल्ली, 30 अप्रैल | ‘पाकिस्तान एट क्रॉसरोड्स’ नामक किताब में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों ने पाकिस्तान की राजनीति, अर्थव्यवस्था और वहां के नेताओं और सैन्य शासकों के सामने घरेलू और रणनीतिक स्तर पर आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन किया है। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर सभागार में गुरुवार की रात इस किताब का विमोचन किया गया। इसके लेखक क्रिस्टोफे जैफरेलॉट ‘सेंटर नेशनल डी ला रिसर्चेस साइंटिफिक (सीएनआरएस)’ में शोध निदेशक हैं। वह पेरिस के साइंसेज पो और लंदन के किंग्स कॉलेज में दक्षिण एशियाई राजनीति के प्रोफेसर हैं।
इस किताब में लेखकों ने आतंरिक खतरों से निपटने में पाकिस्तान के शासकों की कार्यप्रणाली, नागरिकों और सेना में तनाव, राजनैतिक दलों की रणनीति, पुलिस और कानून प्रवर्तन सुधार, न्यायिक सक्रियता के ट्रेंड, सीमा पर होने वाली झड़पों में बढ़ोतरी, आर्थिक चुनौतियां, विदेशी शक्तियों से मिलने वाली आर्थिक मदद और पाकिस्तान के भारत, चीन, ईरान, सऊदी अरब, अफगानिस्तान और अमेरिका के संबंधों का गहराई से विश्लेषण और परीक्षण किया है।
बलूचिस्तान और कराची के नस्लीय संघर्षो के अलावा अफगानिस्तान में अमेरिका की अगुवाई में सैन्य दखल की प्रतिक्रिया के रूप में पाकिस्तान में होने वाली आतंकवादी हिंसा और पाकिस्तान के संघीय प्रशासित आदिवासी क्षेत्रों में ड्रोन से होने वाले हमले अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गए हैं।
अब पाकिस्तान के नेताओं में सर्वसम्मति से यह धारणा बन रही है कि पाकिस्तान की सुरक्षा को असली खतरा भारत से नहीं, बल्कि पाकिस्तान में होने वाले आंतरिक संघर्षो से है। हालांकि यह अहसास पाकिस्तान सेना को अपने सबसे बड़े पड़ोसी देश को निशाना बनाने से रोक पाने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है।
‘पाकिस्तान एट द क्रॉसरोड्स’ में आंतरिक और बाहरी ताकतों से निपटने में पाकिस्तान की ‘लचीली नीति’ की आलोचना की गई है। इन आंतरिक और बाहरी संघर्षो ने ही पाकिस्तान के मौजूदा हालात को और जटिल बना दिया है।
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