नयी दिल्ली, 27 नवम्बर। अश्रु गैस, पानी की बौछार और पथराव ये तीन प्रतिक्रियाएँ हैं कृषि कानूनों की खिलाफत करने वाले किसानों (farmer protest) और प्रशासन के बीच।
दो दिन से पंजाब से लेकर दिल्ली तक बवाल मचा हुआ है। अब उसमें उत्तर प्रदेश भी जुड़ गया है।
किसानों का आंदोलन दिल्ली चलो मार्च (Delhi March) जारी है और प्रशासन सुबह तक रोकने पर आमदा रहा है। फिर दिन में दिल्ली आ रहे किसानों को प्रशासन ने बुराड़ी इलाके में खाली मैदान पर प्रदर्शन करने की इजाजत दे दी।
इसे प्रशासनिक ढिलाई और लापरवाही कहा जाएगा कि किसानों के बवाल मचने के बाद इज़ाजत दी गई। विलंब से लिए गए इस निर्णय का जिम्मेदार कौन होगा, यह कोई कभी नहीं जान पाएगा। जानकारों का कहना है कि यह राजनीतिक निर्णय कहा जा सकता है जिसे पहले लिया जाना चाहिए था।
समाचार चैनलों की बात करें तो पता ही नहीं चलता है कि कहाँ क्या हो रहा है। अलबत्ता एंकरों, किसान समर्थकों और विरोधियों का शाब्दिक संघर्ष मीडिया के खोखलेपन को समझने के लिए काफी है।
खोखलापन इसलिए कि चैनलों पर बहस नहीं होती है, शब्द लहूलुहान होते है और मुद्दे डरे हुए बच्चों की तरह दुबके रहते हैं और बहस ख़त्म हो जाती है….तो अब खबर पर आते हैं।
केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली मार्च करने वाले आंदोलनकारी किसानों (Farmers protest) को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी गई है।
इससे पहले पुलिस के एक अधिकारी ने कहा ‘हम किसानों को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उन्हें यह भी बता रहे हैं कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर किसी प्रकार की रैली करने या धरना देने की अनुमति नहीं है।’
दिल्ली की सीमा से लगने वाले इलाकों में किसान प्रदर्शनकारियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल भी देखा गया।
दूसरी ओर किसान नेताओं ने पूछा कि बिहार चुनाव के दौरान कोविड महामारी की बात कहा थी। वहाँ तो भरपूर रैलियाँ हो रही थी।
किसान नेताओं का कहना है कि नये कृषि कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था समाप्त हो जाएगी लेकिन केन्द्र सरकार ने इसका खंडन किया है।
शुक्रवार को आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम सभी का एक ही लक्ष्य है कि हमारे देश की कृषि उन्नत कृषि के रूप में आगे बढ़े, जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़े, वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो, कृषि का क्षेत्र भी लाभप्रद हो और इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित हो। इस दिशा में केंद्र व राज्य सरकारें लगातार काम कर रही है।
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