मुंबई, 13 फरवरी (जनसमा)। कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने दो समझौते किये। किसानों की आत्महत्याओं से पीड़ित महाराष्ट्र के विदर्भ के कपास उगाने वाले किसानों को लाभ पहुंचाने के साथ ही अमरावती और संतरा उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने और जूस बनाने के कारखाने स्थापित करने जैसे प्रस्तावों पर आज हस्ताक्षर किये गए।
प्रधानमंत्री की उपस्थिति में महाराष्ट्र सरकार के उद्योग संस्थानों ने आज तीन कम्पनियों के साथ समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया और हस्ताक्षर किये।
ताइवान से तकनीकी भागीदार ऑट्रान के साथ एलसीडी फैब में निवेश कर रही कम्पनी ‘ट्विन स्टार’ (स्टरलाइट होल्डिंग कंपनी है) और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। यह भारत में अपने किस्म की पहली परियोजना होगी। इस परियोजना पर प्रस्तावित निवेश बीस हजार करोड़ रुपए होगा।
मैसर्स हिंदुस्तान कोका कोला बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड, जैन इरिगेशन प्राइवेट लिमिटेड और महाराष्ट्र सरकार के कृषि एवं विपणन विभाग के मध्य विदर्भ के संतरा उत्पादन करने वाले किसानों की मदद के लिए एक जूस उत्पादन सुविधा स्थापित करने के लिए समझौत ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
इस परियोजना का उद्देश्य संतरा उत्पादकों को उनकी फसल का अधिक मूल्य दिलाना और लाभदायक रोजगार जुटाना है। इस परियोजना से 2 एकड़ तक की औसत जोत वाले पांच हजार किसानों को लाभ पहुंचने की उम्मीद है।
मैसर्स रेमंड इंडस्ट्रीज और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के मध्य ‘फार्म टू फैब्रिक’ पहल के हिस्से के रूप में समझौता ज्ञापन तैयार किया गया। रेमंड लिलेन यार्न और फैब्रिक तथा परिधानों के विनिर्माण के लिए 1400 करोड़ रुपए निवेश करना चाहता है। यह इकाई अमरावती जिले के नंदगांव टेक्सटाइल पार्क में स्थापित की जाएगी जो इस जिले और विदर्भ क्षेत्र के किसानों से कपास की खरीदारी करेगी। यह क्षेत्र किसानों द्वारा आत्म हत्या करने और किसानों की बदहाली से प्रभावित है।
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