नंदिनी क्षेत्र में खदानों की 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैली बंजर जमीन पर एक प्रोजेक्ट के तहत जंगल उगाया जाएगा। यह बेकार पड़ी खदानों की जमीन पर भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल होगा।
छत्तीसगढ़ में लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। तीन सालों में यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। यह प्रोजेक्ट दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करेगा कि किस तरह से बेकार पड़े खदान क्षेत्र को नेचुरल हैबिटैट में बदला जा सकता है।
इसके बनने से नंदिनी क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से छत्तीसगढ़ ही नहीं देश की भी सबसे बड़ी धरोहर साबित होगा।
नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 80 हजार अन्य पौधे लगाने की तैयारी कर ली गई है।
साल पौधों का होगा प्लांटेशन
डीएफओ धम्मशील गणवीर ने कहा कि 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा। यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए जाएंगे जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए जाएंगे।
नंदिनी प्रोजेक्ट में साल पौधों का भी प्लांटेशन होगा। इसके पहले अभी तक साल पौधों का संकेंद्रण बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में ही रहा है।
पक्षियों के लिए होगा आदर्श रहवास
नंदिनी प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बन पाए तथा पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित हो पाए। यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्कआदि देखे गए हैं। यहां स्थित झील को तथा नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जाएगा।
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