रायपुर, 05 अक्टूबर । छत्तीसगढ़ के मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के ड्रैगन कालीन की लोकप्रियता बढ़ रही है, जिसके मुरीद प्रसिद्ध सूफी गायक कैलाश खेर भी है।
सूफी गायक कैलाश खेर भी इन तिब्बती पैटर्न के ड्रैगन कालीन की लोकप्रियता के मुरीद हो गए हैं। उन्होंने ट्वीट कर मैनपाटवासियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं इन आकर्षक कालीनों को सराहाना की है।
खेर ने अपने ट्वीट में कहा है कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में 1959 से बसे तिब्बती लोगों ने आदिवासियों को कालीन बुनाई का काम सिखाया। इन कालीनों में सूत और उन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ग्रामोद्योग विभाग संचालक सुधाकर खलखो ने बताया कि सरगुजा जिले के कालीन बुनकरों को नियमित रोजगार देने के लिए दो दशक से बंद पड़े मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया गया है।
उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते बतौली, सीतापुर के सैकड़ों कालीन बुनाई करने वाले कारीगर भदोही और मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) जाकर कालीन बुनाई का काम करते थे, अभी वहां नहीं जा पाने के कारण बेरोजगार थे।
इन कारीगरों को मैनपाट के कालीन बुनाई केन्द्र से जोड़कर इन्हें रोजगार देने की पहल बोर्ड ने शुरू की है, ताकि कालीन बुनाई करने वाले स्थानीय कारीगरों को मैनपाट में ही रोजगार मिल सके।
खलखो ने बताया कि छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा मैनपाट के रेखापार में कालीन निर्माण केंद्र में 20 कालीन शिल्पकारों द्वारा कालीन उत्पादन का काम शुरू किया गया है। इसको और अधिक विस्तार देने की दिशा में काम किया जा रहा है।
इस केंद्र के माध्यम से लगभग 100 से अधिक कालीन बुनाई करने वालों कारीगरों को रोजगार से जोड़ा गया है।
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