दिल्ली की सीमाओं पर 20वें दिन भी किसान आंदोलन बदस्तूर जारी

नई दिल्ली, 15 दिसंबर। दिल्ली की सीमाओं पर आज 20वें दिन भी किसान आंदोलन बदस्तूर जारी है। सिंधु बॉर्डर पर किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रदर्शन कर रहे हैं। न तो सरकार टस से मस हो रही हैं न किसान।

सिंघु, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर आंदोलनकारी किसान बैठे हुए हैं तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं । उधर राजस्थान से दिल्ली आ रहे किसानों को हरियाणा में रोक लिया गया है।

केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को किसान नेताओं ने एक दिन की भूख हड़ताल की।

केन्द्रीय मंत्रियों नितिन गड़करी, राजनाथ सिंह और तोमर का साफ कहना है कि किसान सरकार से बात करें और सरकार समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार है।

सरकार का कहना है कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में है और बातचीत से ही रास्ता निकल सकता हे।

आंदालनकारी किसानों का कहना है कि सरकार पहले तीनों कानून वापस ले और बातचीत करके कानून का नया मसौदा तैयार कर कानून बनाये।

मंगलवार सुबह सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि अन्ना हजारे किसानों के प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगे।

उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ सरकार ने कुछ किया नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि किसानों का अधिकार है कि वह अपनी उपज को मंडी में बेचे या व्यापारियों को या किसी और को।

गडकरी का सीधा आरोप है कि कुछ लोग किसानों को भ्रमित कर रहे हैं।

दूसरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात के कच्छ में सिख किसानों से मिलेंगे जो वहां जाकर बस गए थे। सभी सिख किसान लखपत तालुका में है और इनकी संख्या लगभग 5000 से अधिक है।

किसानों और सरकारों की आमने-सामने बात नहीं हो रही है लेकिन  हर मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि  किसान आ करके उनसे बात करें और बातचीत से ही कोई रास्ता निकलेगा।

अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के प्रतिनिधियों ने सोमवार को कृषि मंत्री को आश्वासन दिया कि उनकी समिति के बैनर तले सात हजार से अधिक गैर-सरकारी संगठन काम करते हैं जिनके सदस्य हाल में बनाए गए कृषि कानूनों का समर्थन करने के लिए आगे आ सकते हैं।

किसान आन्दोलन

अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के सदस्यों ने कृषि मंत्री को कृषि कानूनों के समर्थन में ज्ञापन दिया

उन्होंने  इन कृषि कानूनों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया और इन्हें वापस लेने की आंदोलनकारियों की मांगें नहीं मानने का अनुरोध किया।

उन्होंने यह भी अपील की कि सरकार को विज्ञापनों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से इन कानूनों के लाभ के बारे में लोगों को बताना जारी रखना चाहिए।