दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने नांगल इलाक़े में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले में पटियाला हाऊस अदालत में 400 पन्नों का आरोपपत्र दाख़िल किया जिसपर सुनवाई 31 अगस्त, 2021 को होगी।
ज्ञात हो कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस को 30 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था ताकि पीड़ित परिवार को त्वरित न्याय मिल सके।
दिल्ली पुलिस द्वारा आज 28 अगस्त,2021 को आरोप पत्र दाखिल करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की महिलाओं और बच्चियों के ख़िलाफ़ अपराध और दुष्कर्म मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस और अपराधियों को कठोर से कठोर दंड देने के लिए त्वरित कार्रवाई की कटिबद्धता को दर्शाता है।
इस मामले में 2 अगस्त 2021 को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302, 304, 376डी, 342, 506, 201, 34, 6 पॉस्को अधिनियम और 3 एससी/एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पटियाला हाऊस अदालत में 400 पन्नों का आरोपपत्र दाख़िल किया जिसपर सुनवाई 31 अगस्त, 2021 को होगी।
इस मामले को 5 अगस्त, 2021 को दिल्ली कैंट पुलिस स्टेशन से अपराध शाखा को स्थानांतरित किया गया था, जिसके बाद कुशल और त्वरित तरीक़े से मामले की जांच के लिए सुश्री मोनिका भारद्वाज, डीसीपी (अपराध) की अगुवाई में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया, जिसमें एसीपी संदीप लांबा, एसीपी रिछपाल सिंह, इंस्पेक्टर नीरज, सब-इंस्पेक्टर अनुज शामिल थे।
मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, चारों आरोपियों के ख़िलाफ़, जो फ़िलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, 30 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाख़िल किया गया है। ज्ञात हो कि माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने निर्देश दिए थे कि मामले की जांच तेज़ गति से पूरी हो और 30 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाख़िल किया जाए ताकि पीड़ित परिवार को त्वरित न्याय मिल सके। इसके बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मामले की उच्चस्तरीय समीक्षा की थी और दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज होने के 30 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाख़िल करने की कटिबद्धता जताई थी, जिसके बाद फ़ास्ट ट्रैक अदालत में मामले की सुनवाई होगी।
जांच के दौरान, वैज्ञानिक, तकनीकी और अन्य प्रमाणों को एकत्रित करके उनका विश्लेषण किया गया और संबद्ध गवाहों के बयान दर्ज किए गए। इसके अलावा, रोहिणी स्थित फ़ॉरेन्सिक साइंस लेबोरेटरी और दिल्ली पुलिस के बायोलॉजी और ओडॉन्टोलॉजी विशेषज्ञों की भी मदद ली गई। आरोपियों से पूछताछ के दौरान फ़ॉरेन्सिक सायकोलॉजिस्ट की भी सहायता ली गई। पर्याप्त सुबूत एकत्रित करने के बाद अदालत में आरोपपत्र दाख़िल किया गया है।
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