घोटाले

धनबाद में 9 करोड़ रु. का छात्रवृत्ति घोटाला, कई के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज 

धनबाद, 12 नवंबर। धनबाद में एक गिरोह द्वारा किये गए 9 करोड़  रु. से अधिक के  कथित छात्रवृत्ति घोटाले में 96 स्कूल संचालकों व 9 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है।

उपायुक्त उमाशंकर सिंह के निर्देश पर 9 करोड़ 99 लाख रुपए के छात्रवृत्ति घोटाला की जांच करने के लिए गठित 4 सदस्य टीम ने एक सप्ताह में जांच कर इस मामले में 96 स्कूल संचालकों के साथ 9 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है।

एक प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि इसके साथ ही जिला कल्याण पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

घोटाले की जांच में एक जनप्रतिनिधि तथा कुछ ऐसे लोगों का नाम भी उजागर हुए है जिनपर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई है। साथ ही कल्याण विभाग के लिपिक विनोद कुमार पासवान और कम्प्यूटर ऑपरेटर अजय कुमार मंडल की बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

Image : घोटाले के बारे में जानकारी देते धनबाद जिले के अधिकारी

घोटाले की जानकारी देते हुए अपर जिला दंडाधिकारी विधि व्यवस्था चंदन कुमार ने बुद्धवार को सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में मीडिया को बताया कि छात्रवृत्ति अनियमितता को उजागर करने में धनबाद कि मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है एवं सच्चाई को उजागर किया है।

जब यह मामला उपायुक्त की संज्ञान में आया तो उन्होंने 4 नवंबर को एडीएम लॉ एंड ऑर्डर के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया। इसमें कार्यपालक दंडाधिकारी  गुलजार अंजुम, यूआइडीएआइ,  अमित कुमार एवं एडीआइओ  प्रियांशु कुमार को शामिल किया गया।

एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि समिति ने जब जांच आरंभ की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आने लगे। वर्ष 2018-19 में जहां 2675 छात्रों के बीच एक करोड़ 55 लाख 33 हजार 359 रुपए की स्कॉलरशिप दी गई थी, वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसमें 404 प्रतिशत की वृद्धि के हिसाब से 13506 छात्रों के बीच 11 करोड़ 55 लाख 16 हजार 808 रूपए बांटे गए।

एक साल में अचानक 9 करोड़ 99 लाख रुपए की वृद्धि ने संशय पैदा किया।

चतरा का गिरोह 

इस पूरे घोटाले प्रकरण में चतरा का गिरोह शामिल है। गिरोह में सादिक उर्फ साहिल, अफजल फैसल ने एक लोकल एजेंट बनाया था।

जाँच में पता चला कि लोकल एजेंट स्कूल के प्राचार्य या नोडल पदाधिकारी को प्रति छात्र 1000 रु. देता था। वहीं एजेंट को 200 रु. से 400 रु. दिए जाते थे। जिसका साक्ष्य लेन-देन में उजागर हुआ है। वहीं मुख्य सरगना सादिक ने अपने को अगरबत्ती कारोबारी बताया था। उसके ग्रुप में 20 से 25 ऑपरेटर हैं और गिरोह ने झारखंड के धनबाद, साहिबगंज सहित बिहार में भी इस तरह के घोटाले किए हैं।

जांच में गिरोह की सबीना, नाज़नी, तौसीफ, ताबीज, सोहेल इत्यादि के बारे में भी जानकारी मिली है जो एजेंट के रूप में विभिन्न विद्यालयों से आवेदन कलेक्ट करते थे, फर्जी अकाउंट और फर्जी आधार नंबर के सहारे राशि को ट्रांसफर कराते थे।

वृद्ध को  विद्यार्थी दिखाकर फर्जीवाड़ा

धनबाद में  .9 करोड़ 99 लाख रु के इस फर्जीवाड़े में गिरोह ने वृद्ध को भी विद्यार्थी दिखाया और राशि का गबन किया। वहीं संबंधित पदाधिकारी ने कथित विद्यार्थियों की आयु का सत्यापन भी नहीं किया।

एक साल में राशि में 10 गुना वृद्धि होने पर भी किसी प्रकार का विरोध करने या मामले की जांच करने या वरीय पदाधिकारियों को सूचित करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

इन पर हुई है प्राथमिकी दर्ज

घोटाले में 96 विद्यालय के प्राचार्य या नोडल पदाधिकारी के अलावे लिपिक विनोद कुमार पासवान, कंप्यूटर ऑपरेटर अजय कुमार मंडल, अधिवक्ता गुलाम मुस्तफा, जेनेसिस पब्लिक स्कूल मैरनवाटांड के प्रताप जसवार, नीलोफर परवीन, संतोष विश्वकर्मा, अब्दुल हमीद, झरीलाल महतो जीवीएम पब्लिक स्कूल, कलीम अख्तर गुरुकुल विद्या निकेतन भौंरा नंबर 9।

इन सभी पर आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी, 34 तथा आईटी एक्ट में जिले के सभी प्रखंड एवं झरिया अंचल में संबंधित बीडीओ एवं अंचल अधिकारी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।