बुंदेलखंड सूखे के दौर से गुजर रहा है, तालाब और तमाम स्रोत सूख चले हैं, पीने के पानी के लिए हर तरफ संघर्ष नजर आ रहा है, मगर इस इलाके के लोगों में हालात से लड़ने का जज्बा बरकरार है।
यह जज्बा नजर आता है मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में, जहां के लोगों ने आपस में मिलकर 21 लाख रुपये से अधिक का चंदा करके एक तालाब की तस्वीर और तकदीर बदलने का अभियान छेड़ दिया है, ताकि अगली बरसात का एक बूंद पानी भी बर्बाद न हो।
पन्ना जिले की पहचान है धरम सागर तालाब। इस तालाब का निर्माण महाराजा छत्रसाल के पोते राजा सभा सिंह के काल में लगभग तीन सौ साल पहले बनाया गया है, तब से लेकर अब तक यह पहला मौका है जब इस तालाब का बड़ा हिस्सा मैदान में बदला नजर आता है, कुछ हिस्से में ही पानी बचा है।
रियासत काल में यह ऐसा तालाब था, जिसके पानी का व्यक्तिगत निस्तार के लिए इस्तेमाल प्रतिबंधित हुआ करता था। इतना ही नहीं, शहर को जब स्थायी सीमेंट की नालियों से पानी की आपूर्ति होती थी। तब सुरक्षा के लिए जवानों को तैनात किया जाता था।
सेवानिवृत्त शिक्षक राजेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि इस तालाब का हिलोरें मारता पानी मन को मोह लेने वाला हुआ करता था, आज इसमें बहुत कम पानी नजर आता है, जो दुखी करने वाला है।
उन्होंने बताया कि शहर के कुछ लोगों ने प्रशासन को साथ में लेकर जनभागीदारी से इस तालाब को गहरा करने का अभियान शुरू किया है। इस अभियान में शहर के हर वर्ग का साथ मिल रहा है। कोई श्रमदान कर रहा हे तो कोई आर्थिक सहयोग किए जा रहा है।
पन्ना की शहरी आबादी 70 हजार है, इस आबादी केा प्रतिदिन 70 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से कुल मिलाकर शहर में 40 से 45 लाख लीटर प्रतिदिन जल की आपूर्ति की जाती है। यह जलापूर्ति तीन जलस्रोत से की जाती रही है, उन्हीं में से एक धरम सागर तालाब है।
धरम सागर तालाब जल संरचना का एक नायाब उदाहरण है। इस तालाब को भूमिगत पाइप लाइन के जरिए आसपास के 50 से ज्यादा कुओं को जोड़ा गया था, इसका नतीजा यह होता था, कि एक तरफ कभी भी यह तालाब नहीं सूखता था, तो कुओं में पानी बना रहता था, मगर पहली बार ऐसा हुआ है, जब तालाब के साथ कुएं भी लगभग सूखने के करीब है।
इस तालाब को सुधारने की पहल पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष बृजेंद्र सिंह बुंदेला ने की। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी शिव नारायण सिंह चौहान से आग्रह किया कि क्यों न इस तालाब को सुधारने के लिए जनता को भागीदारी बनाया जाए, जिसके बाद जिलाधिकारी ने शहर के लेागों की बैठक बुलाई और जनभागीदारी से तालाब सुधार की इच्छा जताई।
इसका आशय है कि जितनी राशि जनता देगी, उतना ही हिस्सा सरकार से मिलेगा। जिलाधिकारी चौहान के आह्वान पर शहर का हर वर्ग साथ देने को आगे आया। इस अभियान के लिए एक समिति बनी है, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ (विभिन्न विभागों के इंजीनियर) भी शामिल किए गए हैं।
बुंदेला ने आईएएनएस को बताया कि जिलाधिकारी चौहान की कोशिश के चलते तालाब गहरीकरण के लिए अब तक 21 लाख से अधिक की राशि जनता के बीच से इकट्ठा हो चुकी है। एक तरफ जहां लोग आर्थिक सहयोग कर रहे हैं, वहीं आर्थिक सहयोग में अक्षम लोग श्रमदान करने में लगे हैं।
यहां वाहन चालक, हाथ ठेला चलाने वाले, गन्ना का रस, गुपचुप आदि बेचने वाले भी अपने सहयोग करने पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि कुछ दिनों के प्रयास से ही तालाब का नजारा बदला नजर आने लगा है।
इस अभियान का मकसद तालाब की जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने के साथ बारिष का पानी बर्बाद न हो है। तालाब गहरीकरण में 60 डंपर और छह जेसीबी मशीनें लगी हुई हैं।
तालाब गहरीकरण के लिए हर वर्ग अपने सामथ्र्य के मुताबिक सहयोग के लिए आगे आ रहा है। जहां राजेंद्र श्रीवास्तव ने 21 हजार, रामजानकी मंदिर थाल प्रबंधन समिति ने 11 हजार दिए तो किन्नर हमीदा खान ने 10 हजार का आर्थिक सहयोग किया है। इसके अलावा अन्य वर्ग के लोग भी इस अभियान में सहयोग कर रहे हैं।
वहीं तालाब के घाट निर्माण के लिए सांसद नागेंद्र सिंह ने 50 लाख रुपये सांसद निधि से देने का ऐलान किया है।
स्थानीय पत्रकार नदीम उल्ला बताते हैं कि शहर के तीन प्रमुख तालाब के सुधार कार्य के पहले प्रयास हुए। लगभग सात साल पहले धरम सागर सहित दो अन्य तालाबों के लिए जल संरचना संवर्धन परियोजना के तहत 21 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी मिली। इसमें से 14 करोड़ रुपये आए। इससे तीनों तालाबों में इंटेकवेल लगे और एक फिल्टर प्लांट भी स्थापित हुआ, मगर आगे का काम थम गया। उसका अब भ्ीा होने का इंतजार है।
सूखा की मार झेलते और पेयजल के संकट से जूझते पन्ना के लोगों ने खुद ही तालाब की तस्वीर बदलने का अभियान शुरू किया है। इस अभियान में गरीब, अमीर, मजदूर, कारोबारी सब सहयोग कर रहे हैं। लोगों को लगने लगा है कि अगर सिर्फ सरकार के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, तो इस बार की बारिश का पानी कब तालाब से फिसल जाएगा, पता ही नहीं चलेगा।
–संदीप पौराणिक
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