नई दिल्ली, 24 मई | हिमाचल प्रदेश की धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बर्फीली चोटियों से घिरे प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल डलहौजी के प्रतिष्ठित आवासीय स्कूल ‘डलहौजी पब्लिक स्कूल’ के परिसर में स्थापित राज्य के सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे ने इस पर्यटन स्थल को नई पहचान दी है। समुद्र तल से 7,000 फीट ऊंचाई पर 108 फीट ऊंचे स्मारक फ्लैग पोस्ट पर पॉलिस्टर सिल्क से जड़ा आकर्षक तिरंगा पर्वतों के बीच शान से चौबीस घंटे लहराता है तथा रात को इसे दो 400 वाट मेटल हैंडिल लैम्प की रोशनी से चकाचौंध किया जाता है, जिससे शांत सुरम्य पहाड़ियों में इसकी आभा और भी बढ़ जाती है।
देवभूमि हिमाचल की पहाड़ियों पर स्थापित 108 फीट लंबा तिरंगा इस पर्वतीय राज्य में सबसे लंबा राष्ट्रीय ध्वज माना जाता है, जिसे अक्टूबर 2014 में स्कूल के स्थापना दिवस पर भारतीय तट रक्षक के महानिदेशक वाईस अडमिरल अनुराग जी. थपालियाल ने पूरे सम्मान तथा गरिमा से स्थापित किया था।
यह राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा मजबूत राष्ट्र की पहचान के रूप में प्रदर्शित होकर स्कूली छात्रों, पर्यटकों तथा स्थानीय जनमानस में एकता तथा अखंडता की भावना को सु²ढ़ कर रहा है।
डलहौजी पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ. जी.एस. ढिल्लो ने बताया कि राष्ट्रीय ध्वज के देश के महत्वपूर्ण रोचक तथा जीवंत पहलुओं को उजागर करता है तथा इससे देशभक्ति का उत्साह उमड़ता है जिसका युवाओं पर जीवनभर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
प्रसिद्ध पर्यटन स्थल डलहौजी को अंग्रेजी हकूमत ने अपने अधिकारियों के लिए गर्मियों की सैरगाह के तौर पर 1854 में स्थापित किया था तथा अत्यंत मनोहर वादियों से घिरे इस पर्यटक स्थल में साल भर में लगभग एक लाख भारतीय तथा विदेशी पर्यटक भ्रमण करते हैं।
इस पर्वतीय स्थल पर राष्ट्रीय ध्वज एक नया आकर्षण का केंद्र बन गया है, जहां युवा खड़े होकर सेल्फी लेते हैं और इसे निहारते हैं।
डॉ. ढिल्लों ने बताया कि इस तिरंगे को फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से प्राप्त किया गया था तथा इसका मास्ट बजाज इलेक्ट्रिकल इंडिया चंडीगढ़ द्वारा प्रदान किया गया था। उन्होंने बताया कि 20 फीट गुणा 30 फीट के आकार के इस तिरंगे झंडे का कुल वजन 85 किलोग्राम है।
उन्होंने बताया कि इस अंर्तराष्ट्रीय ख्याति के पर्यटक स्थल पर तिरंगा फहराने का विचार जब उनके दिमाग में आया तो उन्होंने फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया से संपर्क साधा। इस संस्था ने उन्हें बजाज इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (मुंबई) से संपर्क साधने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणाम स्वरूप बजाज इलेक्ट्रिकल (चंडीगढ़) की टीम ने स्कूल परिसर का दौरा करके इस क्षेत्रा की भौगोलिक परिस्थितियों का जायजा लिया तथा 10 गुणा 10 फीट की दो मीटर गहरी बुनियाद बनाई गई, जहां तिरंगा स्थापित किया गया।
तिरंगे के मास्ट का कुल वजन 1500 किलोग्राम है, जिसे हाई टैन्सिल स्टील से बनाया गया है। इस स्टील को अधिकतम सु²ढ़ता प्रदान करने के लिए ग्लैवनाइज किया गया है।
इस सीजन में राष्ट्रीय ध्वज को देखने के लिए यहां अब तक 25,000 लोग पहुंचे हैं।
यह तिरंगा 170 किलोमीटर प्रतिघंटा की तेज हवाओं का प्रहार आसानी से सह सकता है। इसके लंबे जीवन के लिए इसमें विशेष मल्टी रस्टजिंक से कोटिंग की गई है, ताकि इसे जंग आदि से लंबे समय तक बचाया जा सके।
इस तिरंगे को डलहौजी, खजियार तथा आस-पास के कई गांवों से गरिमापूर्ण अंदाज में लहाराता देखा जा सकता है।
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