भारतीय और पाश्चात्य को मिलाकर अध्यात्म की अनुभूति हो सकती है

14022016 Semina Science and aadhyatma Shrota Bhopalभोपाल, 14 फरवरी (जनसमा)। रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विश्वविद्यालय कोलकता के कुलपति स्वामी आत्मप्रियानंद ने  कहा कि वेदों में मन को पदार्थ बताया गया है। हमारा मन पूरी तरह आहार पर निर्भर है। जिस तरह हम चावल और दाल को मिलाकर ‘खिचड़ी’ जैसा स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं, उसी तरह भारतीय और पाश्चात्य को मिलाकर अध्यात्म की अनुभूति हो सकती है। वैदिक विज्ञान आधुनिक भौतिकी से अधिक शक्तिवान है।

स्वामी आत्मप्रियानंद ने यह बात आज ‘विज्ञान एवं अध्यात्म’ विषय पर तीन दिवसीय वैचारिक कुंभ के समापन सत्र में कही। ‘वेदांत और आधुनिक भौतिकी’ विषय पर हुए समापन सत्र की अध्यक्षता इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. माधवन नायर ने की।

उन्होंने कहा कि अध्यात्म की माप-जोख संभव नहीं है। अध्यात्म में आनंद का अनुभव किया जा सकता है, लेकिन इसे मापा नहीं जा सकता। 

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित सापेक्षतावाद के सिद्धांत और समीकरण ने पूरे विश्व के बारे में हमारी सोच बदल दी है। विज्ञान और अध्यात्म के रिश्तों को समझने में वैश्विक सोच की जरूरत है।

स्वामी आत्मप्रियानंद ने वेदांत के विभिन्न पहलू का विश्लेषण करते हुए आधुनिक भौतिकी में हुए नये अनुसंधानों की रोचक व्याख्या की।

उन्होंने कहा कि मकड़ी द्रव्य के जरिये अदभुत जाल बनाती है, जो अपनी प्राकृतिक कला में बेजोड़ है। लेकिन किसी को यह पता नहीं है कि वह यह सब कुछ कैसे करती है। आधुनिक भौतिकी में प्रकृति को सुन्दर माना गया है, जिसमें सत्यम, शिवम् एवं सुन्दरम् के दर्शन होते हैं। स्वामीजी ने कहा कि विज्ञान के सिद्धांतों की व्याख्या बाहर से नहीं भीतरी अध्ययनों से होती है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि विज्ञान और अध्यात्म एक-दूसरे के पूरक हैं।

संगोष्ठी के वक्ता स्वामी विवेकानंद योग एवं अनुसंधान संस्थान-बैंगलुरू के डॉ. ऐलक्स हेन्की ने कहा कि वैदिक विज्ञान आधुनिक भौतिकी की तुलना में अधिक शक्तिवान है। पूर्व एवं पश्चिम में अध्यात्म की व्याख्या अलग-अलग ढंग से की गई है। दोनों की तुलना में ‘बायोलॉजिकल आर्गनिज्म’ अधिक पेचीदा है। उन्होंने कॉम्पलेक्सिटी बायलॉजी की अवधारणा की चर्चा करते हुए बताया कि संचार की सातवीं इन्द्री टेलीपोर्टेशन है। उन्होंने कहा कि जैविक विकासवाद के आधार पर मनुष्य का विकास प्राइमेट से हुआ है। उन्होंने कहा कि ‘न्यू मॉडल आफ माइंड बॉडी कलेक्शन’ अध्यात्म को नजदीक से समझने का अवसर देता है।

सत्य की खोज अध्यात्म एवं विज्ञान का मर्म

डॉ. माधवन नायर ने कहा कि अध्यात्म और विज्ञान के बीच अदभुत संबंध है। दोनों का उददेश्य सत्य की खोज करना है। आधुनिक विज्ञान तार्किक चिंतन और प्रौद्योगिकी ने नई संभावनाओं को विस्तार दिया है।

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के महानिदेशक प्रो. प्रमोद के. वर्मा ने कहा कि वैचारिक कुंभ ने ‘विज्ञान को अध्यात्म’ से जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई है। यह सिंहस्थ महापर्व के उददेश्यों को साकार करने में सहायक बनेगा।

परिषद् के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक श्री तस्लीम हबीब ने तीन दिवसीय वैचारिक कुंभ की रिपोर्ट प्रस्तुत की। अंतिम सत्र में विज्ञान भारती के मेंटर शंकर राव तत्वादी, स्वामी विवेकानंद योग एवं अनुसंधान संस्थान-बैंगलुरु के डॉ. एच.आर. नागेन्द्र, विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री  जयंत सहस्त्रबुद्धे आदि उपस्थित थे।