नई दिल्ली, 3 जुलाई | भारत का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम स्वदेशी अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल(आईसीबीएम) अग्नि पांच किसी और कारण से नहीं, बल्कि बैटरी में तकनीकी खराबी की वजह से अटका हुआ है। अग्नि पांच चीन की राजधानी बीजिंग तक मार करने में सक्षम है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) के प्रमुख एस. क्रिस्टोफर ने यह जानकारी दी। डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि यह मुद्दा समाधान के लायक है और अग्नि-पांच का अगला परीक्षण हम लोग इस साल के अंत तक करेंगे।
फाइल फोटो
अग्नि-पांच के परीक्षण में बहुत अधिक देरी होने के बारे में पूछने पर क्रिस्टोफर ने कहा कि तकनीकी अड़चन की वजह से इसमें देरी हुई है। उन्होंने कहा कि बैटरी के साथ समस्या है।
अगले परीक्षण के समय के बारे में पूछने पर क्रिस्टोफर ने कहा, “हमारे सहयोगियों ने कहा कि इस मुद्दे का समाधान किया जा सकता है। इस साल के समाप्त होने के पहले हम लोग एक परीक्षण करेंगे।”
डीआरडीओ प्रमुख ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की वजह से इसे स्थगित किया गया है।
क्रिस्टोफर ने आईएएनएस से कहा, “इस विलंब का कारण केवल तकनीकी है।”
इससे पहले की खबरों में कहा गया था कि दिसंबर 2015 में होने वाले अग्नि पांच के चौथे परीक्षण को स्थगित करके जनवरी और उसके बाद मार्च 2016 किया गया, लेकिन प्रधानमंत्री के पहले से तय अमेरिका दौरे की वजह से इसका समय फिर से बढ़ाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह से आठ जून तक अमेरिका में थे। दो साल पहले सत्ता संभालने के बाद से मोदी की यह चौथी अमेरिका यात्रा थी।
इस मिसाइल का सबसे पहले 2012 के अप्रैल में परीक्षण किया गया था।
आखिरी परीक्षण डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख अविनाश चंदर के कार्यकाल के आखिरी दिन यानी वर्ष 2015 के 31 जनवरी को किया गया। चंदर को अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों के पीछे मुख्य आदमी के रूप में जाना जाता है।
अग्नि पांच भारत में विकसित मिसाइलों में सबसे उन्नत संस्करण है। यह भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम(आईजीएमडीपी) का हिस्सा है, जिसे 1960 के दशक में शुरू किया गया था।
कभी इसे ए.पी.जे. अब्दुल कलाम देखते थे, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने।
इससे पहले के अग्नि संस्करण सेना में शामिल हो चुके हैं और ये पाकिस्तान में कहीं भी और चीन के पश्चिमी हिस्से तक जाने में सक्षम हैं।
भारत वर्ष 2012 में अग्नि पांच के पहले परीक्षण के साथ ही अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के साथ शामिल हो गया है, जिनके पास आईसीबीएम की क्षमता रखते हैं।
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