नई दिल्ली, 22 मार्च (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 30 मार्च को इंडिया-यूरोपियन यूनियन समिट में भाग लेने के लिए राजकीय यात्रा पर ब्रूसेल्स जाएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की 38 साल बाद यह पहली बेल्जियम यात्रा है। 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बेल्जियम की यात्रा पर गए थे।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बेल्जियम के हालात को देखते हुए भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को पैनी नजर रखनी होगी।
बेल्जियम में लगभग 18 हजार भारतवंशी हैं जिनमें 10 हजार भारतीय नागरिक और ढाई हजार अप्रवासी भारतीय हैं। अप्रवासी भारतीयों में अधिकांश गुजरात के रहने वाले हैं और वहां हीरे का व्यवसाय करते हैं।
भारत और बेल्जियम के बीच 1948 से ही कूटनीतिक और दोस्ताना संबंध हैं। बेल्जियम भारत के आर्थिक विकास और संबंधों को खासा महत्व देता है।
इस समय बेल्जियम में लगभग 800 भारतीय विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। बेल्जियम और भारत के तीन विश्वविद्यालयों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय के बीच शैक्षिक समझौते किए गए थे।
दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों की बात करें तो कोई खास उत्साहजनक नहीं हैं लेकिन पूंजी लगाने वाले देशों की सूची में बेल्जियम का स्थान 24वें नम्बर पर है। उसने बहुत कम यानी भारत में 489 मिलियन डाॅलर का पूंजी निवेश कर रखी है।
भारत की ओर से वहां आईटी क्षेत्र में संयुक्त उद्यम काम कर रहे हैं और इन दिनों भारतीय व्यापारी बेल्जियम को एक फर्टाइल लैंड मानते हैं। भारत से मुख्यरूप से हीरे-जवाहरात, खनिज, मूल्यवान पत्थर, रसायन, टेक्सटाईल मशीनरी और बिजली के उपकरण आदि बेल्जियम को निर्यात किए जाते हैं।
भारत सरकार के अधिकारियों ने दोनों देशों के कूटिनीतिक संबंधों के संदर्भ में 2014 को बेल्जियम की यात्रा की थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को ब्रूसेल्स हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए अपने एक ट्वीट में कहा, “ब्रूसेल्स के समाचार चिंताजनक हैं। हमले निंदनीय हैं। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं। मैं घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।”
उल्लेखनीय है कि आज सवेरे ब्रूसेल्स के समयानुसार सवेरे 8 बजे के आसपास वहां आतंकी आत्मघाती हमले और विस्फोट में 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं और लगभग 30 लोगों के मारे जाने की खबर है। जेट एयरवेज के 2 कर्मचारियों के भी घायल होने के समाचार हैं।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रूसेल्स में सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है और वहां की सुरक्षा एजेंसियों की ढिलाई के कारण ही आतंकवादी हमलों को रोका नहीं जा सका।
भारत के प्रधानमंत्री विश्वमंच पर अनेक जगह आतंकवाद के विरुद्ध विश्व समुदाय की साझा रणनीति बनाने की बात करते रहे हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है।
पेरिस और अब ब्रूसेल्स में हुए हमले पश्चिमी यूरोप के लिए आंखें खोल देने वाले हैं। कूटनीतिक विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बेल्जियम में आईएसआईएस का जाल फैला हुआ है और यह आतंकवादियों के लिए ‘साॅफ्ट स्टेट’ है। हालांकि बेल्जियम के प्रधानमंत्री ने आतंकवादी घटना को ‘ब्लाइंड अटैक’ कहा है।
याद रखने की बात यह भी है कि कुछ दिनों पहले पेरिस हमले के लिए जिम्मेदार जिस आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया था उसी के संदर्भ में आज का आतंकवादी हमला देखा जा रहा है।
सुरक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर के अनुसार ब्रूसेल्स में हुआ आतंकवादी हमला बाकी विश्व के लिए भी चुनौती है।
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