देहरादून, 22 सितंबर (जस)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को ‘‘बाल एवं मातृत्व सम्मान दिवस’’, ‘‘वार अगेन्स्ट एनिमिया एंड लुकोरिया’’ का शुभारम्भ करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग, प्रदेश में मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में 5 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करे। न्यू कैंट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में ‘‘आशाकिरण’’ आॅनलाईन सिस्टम व मोबाईल एप का भी शुभारम्भ किया गया। प्रदेश में कार्यरत आशाओं को सीयूजी सिम दिए जाने की विधिवत शुरूआत भी की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अभियान चलाकर आशाओं, एएनएम व दाईयों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे महिलाओं व बच्चों में रक्ताल्पता व कुपोषण की जांच मौके पर ही कर सकें। ‘‘वार अगेन्स्ट एनिमिया एंड लुकोरिया’’ के लिए बधाई देते हुए रावत ने कहा कि योजना को महिलाओं की विभिन्न प्रकार की जांच संबंधी सुविधाओं का सपोर्ट देना होगा। आशा व एएनएम मिलकर काम करें तो एनिमिया एंड लुकोरिया को दूर करने में बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं।
मुख्यमंत्री रावत ने प्रदेश में मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में 5 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा कि ‘खिलती कलियां’ व ‘अन्न प्राशन’ योजना को बाल एवं मातृत्व सम्मान दिवस से समन्वित किया जाए। प्रत्येक 5 तारीख को आगंनबाड़ी केंद्रों में लगने वाले कैम्प में स्वास्थ्य विभाग की फील्ड कर्मचारी भी उपस्थित रहें।
रावत ने कहा कि आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी वर्कर सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। राज्य सरकार भी उनके हित में हर सम्भव प्रयास कर रही है। ‘आशा किरण’ आॅनलाईन सिस्टम से उनकी पारिश्रमिक भुगतान संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी। उत्तराखण्ड ऐसा राज्य है जो प्रोत्साहन राशि के साथ ही आशाओं को निश्चित मानदेय भी दे रहा है। आंगनबाड़ी व आशा वर्कर को सेवानिवृत्ति पर लाभ के लिए 55 करोड़ रूपए जबकि भोजन माताओं के लिए 1 करोड़ रूपए का रिवाल्विंग फंड बनाया गया है।
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