अंटार्कटिका (Antarctica) के आसपास के महासागर को नेशनल ज्योग्राफिक द्वारा आधिकारिक तौर पर दुनिया का पांचवा महासागर (world’s fifth ocean) नामित किया गया है।
अब पांचवें महासागर के बारे में अलग से जानना होगा क्योंकि अब तक तो हम चार महासागरों के बारे में ही पढ़ते आए हैं और वे हैं (1) प्रशान्त महासागर (Pacific Ocean),(2) अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean),(3) हिन्द महासागर (Indian Ocean),(4) आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean) और अब पांचवां महासागर, दक्षिण महासागर (Southern Ocean)।
‘आज तक’ ने 16 जून, 2021 को साइंस न्यूज़ में नेशनल जियोग्रैफिक सोसाइटी ( National Geographic Society) के जियोग्राफर एलेक्स टेट (Alex Tet) के हवाले से जानकारी दी है “इसका सबसे बड़ा असर एजुकेशन सेक्टर पर पड़ेगा। स्टूडेंट्स सदर्न ओशन के बारे में नई जानकारियां हासिल करेंगे। इसे भी सभी देशों में मान्यता मिलेगी। इसे अलग-अलग देशों के भूगोल और विज्ञान की किताबों में शामिल किया जाएगा। इसकी खासियत और मौसम के बारे में पढ़ाया जाएगा।”
गौर करने की बात है कि अंटार्कटिका (Antarctica)को भी नक्शे में 1915 में शामिल किया गया था।
अंटार्कटिका (Antarctica) में खोज का दूसरा भारतीय अभियान (Second Indian Expedition to Antarctica) 1982 में वी के रैना के नेतृत्व में किया गया था जिसमें 40 सदस्य थे। वैज्ञानिकों के दल के साथ-साथ फ़िल्म्स डिवीजन की कैमरा टीम भी गई थी और उसके कैमरामैन थे दीपक हल्दंकर।
भारत के पहले अंटार्कटिका अभियान -1982 की तस्वीर। सौजन्य : दर्पण फोटो लायब्रेरी
महासागर खारे पानी का एक विशाल पिंड है जो पृथ्वी की सतह के लगभग 71 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है। इनको महासागर नाम दिया गया।
अलग-अलग भौगोलिक परिवेश के कारण समुद्र विज्ञानी और दुनिया के देशों ने इसे अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया है: प्रशांत, अटलांटिक, हिन्द और आर्कटिक महासागर।
अंटार्कटिका (Antarctica) के आसपास के समुद्र अपने स्वयं के पदनाम के लायक हैं: सदर्न ओशन या दक्षिणी महासागर , जो पृथ्वी पर पाँचवां महासागर ( fifth ocean) कहा जाएगा।
विश्व का अनुमानित 97 प्रतिशत जल समुद्र में पाया जाता है। इस वजह से, समुद्र का मौसम, तापमान और मनुष्यों और अन्य जीवों की खाद्य आपूर्ति पर काफी प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर हर जीव के जीवन पर इसके आकार और प्रभाव के बावजूद, महासागर एक रहस्य बना हुआ है। समुद्र के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से को कभी भी मनुष्यों द्वारा एक्सप्लोर नहीं गया है। हमारे अपने समुद्र तल की तुलना में चंद्रमा और मंगल ग्रह की सतहों का कहीं अधिक प्रतिशत अध्ययन किया गया है।
हालाँकि अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है, समुद्र विज्ञानी पहले ही कुछ आश्चर्यजनक खोज कर चुके हैं। आने वाले वर्षों में समुद्र विज्ञानी कई सकारात्मक आश्चर्यों की प्रतीक्षा कर सकते हैं। यह हो सकता है कि समुद्र की 90 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां अभी भी अनदेखी हों।
वर्तमान में, वैज्ञानिक लगभग 2,26,000 समुद्री प्रजातियों के बारे में जानते हैं।
समुद्र तल और शेष महासागर के बारे में अधिक सीखना नेशनल ज्योग्राफिक एक्सप्लोरर मार्सेलो कैलिस्टी का जुनून है। वह एक बायोरोबोटिक्स विशेषज्ञ है जो पानी के नीचे एक ऑक्टोपस के चलने के तरीके से प्रेरित होकर “पैर वाली हरकत” का उपयोग करने वाला एक अंडरसीज अन्वेषण वाहन विकसित कर रहा है।
उनका लंबी दूरी का लक्ष्य ऐसे रोबोटों को डिजाइन करना है जो उन गहराईयों का पता लगा सकें जिन तक इंसानों तक पहुंचना मुश्किल है। चूंकि महासागर इतने विशाल हैं कि भविष्य में समुद्र वैज्ञानिक दुनिया के किसी भी कोनों से महासागरों के नीचे खोज करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
Follow @JansamacharNews