उज्जैन, 15 मई | मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान निनौरा में आयोजित तीन दिवसीय ‘अंतर्राष्ट्रीय विचार कुंभ’ के शनिवार को समापन अवसर पर जारी सार्वभौम अमृत संदेश (घोषणापत्र) में सर्वधर्म समादर पर जोर दिया गया है और इसमें 51 अमृत बिंदुओं को स्थान दिया गया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की मौजूदगी में घोषणापत्र जारी किया और निष्कर्षो को अमृतबिंदु नाम दिया।
विचार कुंभ का यह घोषणापत्र मूल्य आधारित जीवन, मानव-कल्याण के लिए धर्म, ग्लोबल वार्मिग एवं जलवायु परिवर्तन, विज्ञान एवं अध्यात्म, महिला सशक्तीकरण, कृषि की ऋषि परंपरा, स्वच्छता एवं पवित्रता, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विषयों पर भारत एवं विश्वभर के विभिन्न देशों से आए विद्वानों के साथ विमर्श पर आधारित है।
इस घोषणापत्र में कहा गया है कि सर्वधर्म समादर की भावना विकसित करने के लिए शिक्षा में उपयुक्त पाठ्यक्रम सम्मिलित किए जाएं। आगे कहा गया है कि धर्म यह सीख देता है कि जो स्वयं को अच्छा न लगे, वह दूसरों पर नहीं थोपना चाहिए। ‘जियो और जीने दो’ का विचार हमारे सामाजिक व्यवहार का मार्गदर्शी सिद्धांत होना चाहिए।
कहा गया है कि धर्म जोड़ने वाली शक्ति है। इसलिए धर्म के नाम पर की जा रही सभी प्रकार की हिंसा का विरोध विश्वभर के समस्त धर्मो, पंथों, संप्रदायों और विश्वास-पद्धतियों के प्रमुखों द्वारा किया जाना चाहिए।
धर्म को लेकर कहा गया है कि सृष्टि एक ही चेतना का विस्तार है और मानव उसी का अंश है। इसलिए समस्त जीवों के प्रति दया, प्रेम व करुणा आधारित व्यवस्थाएं निर्मित की जानी चाहिए। धर्म मनुष्य की आत्मोन्नति का मार्ग तथा मानव-कल्याण का साधन है।
यह भी कहा गया है कि धर्म जहां हमें प्रेम, सहयोग, सामंजस्य के पाठ के माध्यम से एक सूत्र में बांधता है, वहीं विस्तारवादी उद्देश्यों के लिए किए गए उसके दुरुपयोग से विश्वबंधुता का हनन होता है।
इस घोषणापत्र में स्वच्छता, महिला सशक्तीकरण, जल संकट, विज्ञान, अध्यात्म, नदियों के अस्तित्व, कुटीर उद्योग आदि पर जोर दिया गया है।
निनौरा में यह विचार कुंभ 12 से 14 मई तक चला।
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