विद्या शंकर राय===
लखनऊ, 24 जून | उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सियासत की बिसात बिछनी शुरू हो गई है। कभी बाहुबली नेता डी.पी. यादव के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर वाहवाही लूटने वाले अखिलेश को आखिरकार पूर्वाचल के राजनीतिक समीकरणों के चलते मऊ सदर से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ नरम रुख अपनाने को मजबूर होना पड़ा।
कौमी एकता दल (कौएद) दरअसल पूर्वाचल के करीब आधा दर्जन जिलों में अपनी खास पैठ रखती है। कौएद के संरक्षक व सपा के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी व उनके भाई मुख्तार अंसारी करीब 12 विधानसभा सीटों पर राजनीतिक समीकरण बनाने व बिगाड़ने की हैसियत रखते हैं।
सपा सूत्रों के मुताबिक, पूर्वाचल में गाजीपुर, बलिया, बनारस, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़ सहित लगभग आधा दर्जन जिलों में यह पार्टी मुसलमानों के बीच खासी लोकप्रिय है। पिछले विधानसभा चुनाव में ही इस पार्टी ने जिन जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, वहां वहां सपा की हालत काफी खस्ती रही।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी बनारस से चुनाव लड़े थे। तब उनके खिलाफ भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी मैदान में थे। लेकिन मुख्तार अंसारी ने जोशी को कड़ी टक्कर दी। हालांकि मुख्तार अंसारी चुनाव हार गए, लेकिन बनारस में मुस्लिम मतदाताओं का काफी समर्थन उन्हें मिला था।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, “लगभग आधा दर्जन जिलों में अंसारी बंधुओं का दबदबा है। जिन विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है वहां दूसरी पार्टियां इनसे गठबंधन करने में ही अपनी भलाई समझती हैं।”
उन्होंने कहा, “इन आधा दर्जन जिलों से जुड़े मंत्रियों ने भी नेताजी को यही फीडबैक दी कि यदि अंसारी बंधुओं की पार्टी का विलय सपा में होता है तो इससे सपा को काफी फायदा होगा। यादवों के साथ मुसलमानों के आने से पार्टी के प्रत्याशियों की जीत की संभावना अपने आप बढ़ जाएगी।”
कौएद के सपा में विलय को लेकर पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अब बात मुख्तार अंसारी की नहीं, बल्कि स्वामी प्रसाद मौर्य की होनी चाहिए। कौएद का विलय पार्टी के अध्यक्ष के कहने पर हुआ है। वही पार्टी के सर्वेसर्वा हैं।
हालांकि अन्य राजनीतिक दलों के नेता मुख्तार अंसारी और अखिलेश के गठजोड़ को दूसरे नजरिए से भी देख रहे हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उप्र के नेता साजिद हशमत इस पूरे प्रकरण में दूसरा नजरिया देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव को यह आभास है कि ओवैसी की पार्टी से यदि सीधे तौर पर कोई टक्कर ले सकता है तो वह मुख्तार अंसारी एंड कंपनी ही है। इसलिए आवैसी के खिलाफ मुख्तार को खड़ा करने के लिए यह सारा नाटक रचा गया है।
इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कौएद के विलय को लेकर कहा कि यह सैफई परिवार का विशुद्घ रूप से ड्रामा है। यदि मुख्यमंत्री की कौएद के विलय से नाराजगी थी तो उन्होंने अपने चाचा शिवपाल यादव को बर्खास्त क्यों नहीं किया।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सपा सरकार असफलता छिपाने के लिए कौएद के विलय पर प्रदेश के मुख्यमंत्री की नाराजगी का नाटक कर रही है। पूरे प्रदेश में अपराधी तत्वों को समाजवादी पार्टी का संरक्षण प्राप्त है जिसके कारण पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था पटरी से उतर गई है। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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