नई दिल्ली, 15 सितंबर | हस्तशिल्प को परवान चढ़ाने वाली मधु जैन को अपने 30 साल के लंबे करियर में वस्त्रों की बुनाई और स्वदेशी डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। वह कारीगरी और कपड़ों के संरक्षण के लिए भी काम करती हैं। उनके अनुसार भारतीय बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़ों का मिलना मुश्किल है।
पश्चिमी देशों की तरह भारत में वस्त्रों की गुणवत्ता को लेकर कोई नियंत्रण नहीं है और इससे कई तरह की समस्याएं होती हैं।
फाइल फोटो:आईएएनएस
जैन ने आईएएनएस को बताया, “आजकल अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़े भारतीय बाजार में दुर्लभ हो गए हैं। बुनकर और कारीगर धड़ल्ले से तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें पता है कि मौजूदा समय में भारतीय बाजार पर किसका प्रभाव है। एक बुनकर वेबसाइट पर क्लिक करके जान जाता है कि खुले बाजार में उसकी बनाई कुर्ती कितनी दाम में बिकी और स्वभाविक रूप से फिर वे हर पीस की कीमत पाना चाहते हैं।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वस्त्रों की गुणवत्ता से लेकर उसके तैयार होने तक उत्पादन के हर पहलू पर सख्त गुणवत्ता नियंत्रण होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि पश्चिमी देश भारत की समृद्ध और महीन बुनाई की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, और कई बड़े फैशन घराने और डिजाइनर अपने लाभ के लिए भारतीय वस्त्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें कई मशहूर नाम जैसे राल्फ लॉरेन, ऑस्कर डि ला रेंटा, यवेस सेंट लॉरेंट, केल्विन क्लेइन और जियोर्जियो अरमानी आदि शामिल हैं।
उनकी हालिया शरद ऋतु-2016 के लिए साड़ियों का संग्रह इंडो-थाई मिश्रित डिजाइन पर आधारित है।
उनके अनुसार, साड़ियों का यह सीमित संग्रह प्राकृतिक रूप से बुनाई कर तैयार किया गया है। वह कभी भी बाजार में पहले से उपलब्ध वस्त्रों को नहीं खरीदती हैं।
उनकी साड़ियों में मुदमी या मातमी जैसे थाई शैली की डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है, जबकि पल्लू पर ताजमहल और भारतीय डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि उनके इस प्रयोग को सराहना मिलने से वह संतुष्ट हैं।
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