अदालतें फैसले सुनाने में देरी न करें : उपराष्ट्रपति

लखनऊ, 14 अप्रैल | उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे उपराष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी ने कहा कि अदालतों को मुकदमों का फैसला सुनाने में देरी नहीं करनी चाहिए। बार-बार सुनवाई स्थगित होने से फैसले आने में लंबा समय लग जाता है। उन्होंने कहा, “लेट-लतीफी भारतीय बीमारी है, पर इसमें अब सुधार की जरूरत है। अगर न्यायाधीश और अधिवक्ता समाज चाह ले तो इन सभी कमियों को दूर किया जा सकता है।”

उपराष्ट्रपति गुरुवार को लखनऊ के विभूतिखंड स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की नई इमारत में 150वीं वर्षगांठ समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि लोगों को संबोधित कर थे।

इससे पहले उपराष्ट्रपति ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने इस मौके पर कहा कि कानून का विकास अच्छी और खराब सरकार के बीच अंतर पैदा करता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका के उच्चतम न्यायालय में हर पक्ष को मौखिक रूप से अपनी बात कहने के लिए सिर्फ 30 मिनट का ही समय दिया जाता है। लिहाजा, ऐसी कोई वजह नहीं हो सकती जिससे लफ्फाजी से छुटकारा न पाया जा सके।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरोकारों के मामले में सुधारों को लागू करने में कार्यकारिणी की विफलता के विपरीत न्याय पालिका के लिए लोगों में स्थापित परंपरागत प्रतिष्ठा को अपनी सक्रियता द्वारा फिर से स्थापित करना होगा, और अधिकारों के बढ़ते दायरों में अच्छे कामों के संदर्भ में यह विशेष रूप से सच है।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि न्याय तक पहुंच में कमी, इसकी ऊंची लागत, न्याय होने में देरी, जवाबदेही के लिए एक तंत्र की कमी और भ्रष्टाचार के आरोपों ने इस संस्थान की प्रभावोत्पादकता के बारे में निराशा और संदेह पैदा किया, जिसके प्रति सजग होना होगा। उन्होंने आगे कहा कि चिंता का एक अन्य क्षेत्र समय-समय पर न्याय पालिका के सदस्यों की घोषणाओं में उजागर होने वाला अत्यधिक उत्साह है।