अहमदाबाद , 8 अक्टूबर | एक कहावत है-बड़ी सोच ही इंसान को बड़ा बनाती है। इसी सोच के साथ पैदा हुए ट्रांसस्टेडिया के प्रबंध निदेशक उदित सेठ ने आज अहमदाबाद को ही नहीं बल्कि देश को द एरेना बाय ट्रांसस्टेडिया के रूप में एक ऐसी खेल सुविधा दी है, जिस पर वह गर्व कर सकता है।
द एरेना बाय ट्रांसस्टेडिया में कबड्डी विश्व कप के रूप में पहली बार कोई खेल आयोजन हो रहा है। इस अद्भुत खेल, मनोरंजन व सामुदायिक स्थल को तैयार करने में उदित को आठ साल लगे। कबड्डी विश्व कप का जब उद्घाटन समारोह चल रहा था, तब उनसे अधिक खुश और कोई नहीं था।
तो क्या यह उनके जीवन का यह सबसे बड़ा दिन था? इस सवाल पर सुलझी हुई सोच रखने वाले युवा उदित ने आईएएनएस से कहा, “मैं यह तो नहीं कह सकता, लेकिन निश्चित तौर पर यह काफी रोमांचक पल था। हमने इस योजना पर एक दशक तक लगातार काम किया और अब यहां खेल आयोजन होने लगे हैं। यह देखकर अच्छा महसूस होता है।”
मोटर उपकरण बनाने वाली अग्रणी कम्पनियों में से एक सेटको आटोमोटिव लिमिटेड का मालिकाना हक रखने वाले सेठ परिवार ने यह योजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर आठ साल पहले शुरू की थी। नौ एकड़ में फैले इस सम्पूर्ण खेल, मनोरंजन और सामुदायिक स्थल के बारे में उदित ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था, जो उन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए देखा था।
उदित ने कहा, “यह 550 करोड़ रुपये की योजना है। यह 14 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है। इस स्टेडियम में 16 खेल हो सकते हैं। हमने यहां अकादमी, स्पोर्ट्स साइंस व स्पोर्ट्स मेडिसीन सेंटर, फिटनेस सेंटर, इनडोर-आउटडोर प्ले एरिया तैयार किए हैं। यहां भारत का सबसे बड़ा कन्वर्टेबल इनडोर-आउटडोर स्टेडियम है। हमने इसे पैटेंटेड तकनीक से बनाया है और यह विचार स्टेडीएरेना ब्रिटेन से लिया गया है। जिस दिन मैच नहीं हो रहे हों, उस दिन स्टेडियम का समूचा निचला हिस्सा समेटा जा सकता है और दूसरे कार्यो मसलन विवाह या फिर दशहरा समारोह के लिए खाली मैदान के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।”
उदित ने बताया कि इस स्टेडियम में अत्याधुनिक तकनीक को पहुंचाने के लिए 14 किलोमीटर फाइबर आप्टिक्स हर तरफ बिछाई गई हैं। उदित ने कहा कि हमने यह सुनिश्चित किया है यहां ब्रॉडकास्ट में किसी प्रकार की दिक्कत न आए और यहां शानदार वाईफाई सुविधा मिले।
जहां तक दर्शकों की बात है तो एरेना बाय ट्रांसस्टेडिया में उनका पूरा ख्याल रखा गया है। दर्शकों की सुविधा के लिए हर तरफ अंदर और बाहर जाने के रास्ते बनाए गए हैं और यह देश का पहला ऐसा खेल आयोजन स्थल है, जहां डिजास्टर मैनेजमेंट का पूरा प्लान लागू किया गया है। इस स्टेडियम में महिला एवं पुरुषों के लिए 400 शौचालय हैं।
उदित ने कहा, “हमने इस स्टेडियम में हर किसी का पूरा ख्याल रखा है। महिलाएं स्टेडियम में जाने से संकोच करती हैं क्योंकि ये उनके मुताबिक नहीं बने होते। लेकिन हमने हर एक छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा है। हमने इस स्टेडियम में 900 कारों की पार्किं ग की व्यवस्था की है।”
जहां तक खिलाड़ियों की बात है तो यह स्टेडियम उन्हें खेल के विश्वस्तरीय क्षेत्र के अलावा दुनिया के बेहतरीन प्लेयर लॉकरों में एक प्रदान करता है। यहां के प्लेयर लॉकर रूम भारत में ही नहीं बल्कि एशिया में बेहतरीन हैं। इसका डिजायन स्कॉटलैंड के आर्किटेक्ट होम्ल मिलर और मुम्बई के डीएसपी ने मिलकर तैयार किया है।
ऐसा नहीं है कि उदित के लिए यहां तक का सफर आसान रहा है। मोटर पार्ट्स बनाने वाली अपने पिता की कम्पनी में आठ साल तक काम करने के बाद उदित ने अपने दम पर एक मुकाम बनाने का फैसला किया। यह स्टेडियम पूरी तरह उदित की सोच है और इसमें उनके परिवार और गुजरात सरकार का सहयोग प्राप्त है।
उदित ने बताया, “उस समय मैं 29 साल का था। मैंने सोचा कि यह मेरे लिए कुछ अलग से करने का सबसे अच्छा वक्त है। मैं कुछ ऐसा करना चाहता था जो मेरे परिवार के व्यवसाय से बिल्कुल भिन्न हो।”
इसके बाद उदित ब्रिटेन चले गए और वहां की कम्पनी स्टाडीएरेना से जुड़ गए। वहां से लौटने के बाद उदित ने विदेशी नमूने पर भारत में भी खेल सुविधाएं खड़ा करने का मन बनाया और इस संबंध में सरकार से मदद के लिए कई मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखे।
बाकियों ने तो उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया लेकिन उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने पास बुलाया।
उदित ने कहा, “मुझे सिर्फ मोदी से सकारात्मक जवाब मिला। उन्होंने मुझे तत्काल अपने दफ्तर बुलाया। इसके बाद वाइब्रेंट गुजरात समिट के दौरान गुजरात सरकार और मेरी कम्पनी के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। फिर कई तरह की सरकारी प्रक्रियाओं के बाद अंत में काम शुरू हो गया। मोदी जैसे ही प्रधानमंत्री बने इस योजना को मेक इन इंडिया योजना का रूप दे दिया गया।”
आज उदित का सपना है कि इस स्टेडियम को देश भर में जाना जाए और वह पूरे देश को इन सुविधाओं का लुत्फ लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। उदित ने यह भी कहा कि उनकी इच्छा है कि यहां तैयार 20 हजार की क्षमता से युक्त फीफा मानकों वाले फुटबाल मैदान पर आईएसएल, आईलीग और भारत के अंतर्राष्ट्रीय दोस्ताना मैच खेले जाएं।
उदित ने कहा, “मुझे बहुत खुशी होगी कि आईएसएल में अहमदाबाद की कोई फ्रेंचाइजी हो और यह उसका होम ग्राउंड हो। साथ ही मुझे उस समय बहुत खुशी होगी कि यहां आईलीग और दूसरे फुटबाल मैच खेले जाएं। हमने यहां ऐसी सुविधाएं तैयार की हैं, जिनमें मुक्केबाजी, टेबल टेनिस, तैराकी, वॉलीबॉल, फुटबॉल, निशानेबाजी, स्क्वॉश, लॉन टेनिस और अन्य कई खेल हो सकते हैं।”
तो उदित की नजर में द एरेना बाय ट्रांसस्टेडिया का भविष्य क्या है? इस पर उदित ने कहा, “इस तरह की चीजें सिर्फ और सिर्फ खेलों को ध्यान में रखकर नहीं बनाई जा सकतीं। अगर ऐसे हुआ तो फिर इसका कामर्शियल उपयोग नहीं हो सकेगा। हमने इस इनफ्रास्ट्रक्चर से पैसा भी कमाना है, लिहाजा हमने यहां रेस्टोरेंट (जिनकी संख्या पांच है), सिर्फ सदस्यता वाला क्लब और मनोरंजन स्थल भी बनाया है। हमने कोशिश की है कि यह स्टेडियम लोगों की हर जरूरत के समय में काम आए और आने वाले दिनों में जब किसी को बड़े आयोजन का विचार आए तो वह सिर्फ इसी के बारे में सोचे।”
=== जयंत के. सिंह
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