अधिक धार्मिक हो जाते हैं पोर्नोग्राफी देखने वाले। आप इसे विचित्र कह सकते हैं, लेकिन ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जो लोग हफ्ते में एक बार से अधिक अश्लील फिल्म (पोर्नोग्राफी) देखते हैं उनमें धार्मिक होने का अधिक रुझान रहता है। यह उनके साथ जुड़े अपराध भाव की वजह से हो सकता है।
समाजशास्त्र एवं धार्मिक अध्ययन मामलों के सहायक प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता सैमुएल र्पेी के अनुसार, “अश्लील चित्र देखना दोषी महसूस करने के लिए प्रेरित कर सकता है खासकर जब कोई व्यक्ति अपने धर्म के नियम का उल्लंघन कर रहा हो।”
फाइल फोटो सिन्हुआ / राहेल पट्रास्सो/ आईएएनएस : साओ पाउलोए ब्राजील में 9 नवंबर, 2015 को आयोजित ‘मिस बमबम ब्राजील 2015’ सौंदर्य प्रतियोगिता के दौरान एक माॅडल।
‘सेक्स रिसर्च’ नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन रिपोर्ट में उन्होंने कहा है, ‘ पोर्नोग्राफी देखने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है, हो सकता है कि लोग अपने व्यवहार को तर्कसंगत बनाने या जिनसे लगता है कि वे कसूरवार हैं उससे बाहर आने के लिए यह उन्हें धर्म की ओर मोड़ती है।”
इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों पर छह साल तक नजर रखी और इस अवधि में उन्होंने पोर्नोग्राफी कितनी देखी और धार्मिक कितने रहे, इसका आकलन किया।
इस नमूने में देश भर का प्रतिनिधित्व करने वाले 1314 लोगों के एक समूह को शामिल किया गया। इस समूह ने पोर्नोग्राफी इस्तेमाल और धार्मिक आदतों से जुड़े सवालों का जवाब दिया।
अध्ययन में कहा गया है कि उम्र और लिंग जैसे नियंत्रक कारकों के बाद पोर्नोग्राफी को कम धार्मिकता से जुड़ा देखा जा रहा था। यह स्थिति तब रही जब तक पोर्नोग्राफी हफ्ते में एक बार से अधिक नहीं हो गई। ऐसी स्थिति में धार्मिकता बढ़ गई।
इस शोध के लेखकों ने कहा लिखा है कि विद्वान जहां यह मानते हैं कि अधिक धार्मिक होने से पोर्नोग्राफी का इस्तेमाल कम होगा किसी ने भी अनुभव के आधार पर इसकी जांच नहीं की कि क्या इसका उल्टा भी सच हो सकता है।
इस अध्ययन निष्कर्ष से पता चलता है कि पोर्नोग्राफी देखने से हो सकता है कि कुछ पैमाने पर धार्मिकता में कमी आए लेकिन इसका चरम स्तर वास्तव में धर्म के प्रति झुकाव को बढ़ा सकता है या कम से कम धर्म की ओर ले जाने में अधिक सहायक हो सकता है। –आईएएनएस
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