अब तक राज्यों ने किया 1.12 करोड़ ‘मृदा स्वास्थ्य कार्डों’ का वितरण

नई दिल्ली, 24 फरवरी (जनसमा)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने मंगलवार को राज्यों के सचिवों (कृषि)/निदेशकों (कृषि) के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम की समीक्षा की। अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में उन्होंने उल्लेख किया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) स्कीम सरकार की एक महत्वपूर्ण स्कीम है। इसका उद्देश्य मृदा जांच आधारित एवं संतुलित उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देना है, ताकि किसान कम लागत पर अधिक उपज प्राप्त कर सकें।

राधा मोहन सिंह ने बताया कि वर्ष 2015-16 के लिए 100 लाख मृदा नमूने एकत्रित करके किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के लिए इनकी जांच करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्यों के साथ विचार-विमर्श के दौरान यह देखा गया कि कुछ राज्यों ने नमूना एकत्रण में अच्छा कार्य किया है।

राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों ने समीक्षा बैठक में भाग लिया। 104 लाख मृदा नमूनों के लक्ष्य के मुकाबले राज्यों ने लगभग 81 लाख मृदा नमूनों के संकलन और लगभग 52 लाख मृदा नमूनों के परीक्षण के संकलन की रिपोर्ट दी है। अब तक राज्यों ने 1.12 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण कर दिया है और 2 करोड़ कार्ड छपने की प्रक्रिया में है, जिन्हें मार्च, 2016 से पहले वितरित कर दिया जाएगा। एक करोड़ कार्ड के लिए नमूनों की जांच की जा रही है। 20 लाख नमूने मार्च अंत तक एकत्र कर लेने का आश्वासन राज्यों ने दिया है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के निर्माण पर भी बल दिया। स्कीम के दिशा-निर्देशों में नाबार्ड के माध्यम से कार्यान्वित पूंजी निवेश राजसहायता स्कीम (सीआईएसएस) के माध्यम से छोटे प्रयोगशालाओं के साथ-साथ मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना करने के लिए संशोधन किया गया है। दिशा-निर्देशों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम में कृषि के और अन्य विज्ञान कालेजों के विज्ञान के छात्र-छात्राओं को शामिल करने के लिए संशोधन किया गया है।

उन्होंने मृदा प्रयोगशालाओं की स्थापना की भी समीक्षा की। अधिकांश राज्यों में प्रयोगशालाओं हेतु उपकरणों की खरीद हेतु संविदा की प्रक्रिया चल रही है। माननीय मंत्री महोदय ने राज्यों को सरकार द्वारा जारी की गई निधियों का उपयोग तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की सुविधा के साथ अधिक से अधिक प्रयोगशाला को स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने छोटे पोर्टेबल प्रयोगशालाओं को बढ़ावा देने तथा ब्लाक/पंचायत स्तर पर उनकी स्थिति को सुधारने का भी सुझाव दिया, जिससे समय पर लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।