पटना, 11 सितंबर | अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गांधीवादी और हिमालय सेवा संघ की अध्यक्ष राधा भट्ट का कहना है कि अभी कई लड़ाइयां शेष हैं। हिमालय को बचाना है। नदियों, पर्वतों और जंगलों को बचाना है। उन्होंने कहा कि आज संप्रदायवाद, कट्टरवाद, दलित, सवर्णो के नाम पर लड़ाइयां हो रही हैं, हिंसा हो रही है। ये लड़ाइयां लोकशक्ति से ही ठीक होनी चाहिए।
मोहब्बत का पैगाम लेकर असम के कोकराझार से निकली ‘शांति सद्भावना साइकिल यात्रा’ के साथ बिहार पहुंची राधा भट्ट ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि आज गांधी के अहिंसक विचारों और उनकी रचना को बढ़ाने की आवश्यकता है।
राजनीति के गिरते स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति में पुराने लोगों और कुछ अन्य लोगों को छोड़ दिया जाए तो ऐसे लोगों का प्रवेश हो गया है, जिस पर किसी न किसी प्रकार के आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार का आरोप है तो कई पर कट्टरवाद का आरोप है। उन्होंने कहा कि विचार से ही रचना होगी और जहां रचना होगी वहीं विचार टिकेगा।
अपने चाहने वालों के बीच ‘राधा दीदी’ के नाम से जानी जाने वाली राधा भट्ट का नाम गांधी-विनोबा युग के बचे हुए थोड़े से गांधीवादियों में प्रमुखता से शुमार किया जाता है।
देश-दुनिया के शीर्षस्थ गांधीवादी संस्थाओं और संगठनों में अहम पदों पर रह चुकी 83 वर्ष्ीय राधा भट्ट कहती हैं, “पूरी दुनिया में हिंसा हद से ज्यादा पार कर गई है। ग्वाटेमाला हो या मेक्सिको या उत्तरी अमेरिका हो हिंसा के कारण लोग विस्थापित हो रहे हैं। ऐसे समय में इस साइकिल यात्रा के माध्यम से निकले ये बच्चे समानता, अहिंसा का संदेश देने को निकले हैं। शांति और सद्भाव लोगों की मौलिक भूख है।”
उन्होंने कहा कि इस यात्रा को पूरे विश्व की हिंसा के परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। पिछले चार वषरे से शिविरों के माध्यम से इन युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। इसका नतीजा यह निकला है एक समुदाय से दूसरे समुदाय के बीच नफरत की आग खत्म हो गई है। उन्होंने कहा कि आज राज्यों के बीच झगड़े हो रहे हैं।
तीन सितंबर को कोकराझाड़ से कश्मीर तक के लिए प्रारंभ हुई साइकिल यात्रा आठ राज्यों में होते हुए 49 दिनों में कश्मीर पहुंचेगी।
अखिल भारत सवरेदय मंडल (सर्व सेवा संघ) द्वारा आयोजित इस साइकिल यात्रा में चल रही सुप्रसिद्ध गांधीवादी राधा भट्ट कश्मीर तक की यात्रा पर आईएएनएस से कहती हैं, “जितना संवेदनशील कश्मीर है, उतना ही संवेदनशील है असम। आज संवेदना का स्तर कम हो रहा है। उस संवेदना के स्तर को जगाने की आवश्यकता है। कट्टरता समाज के लिए घातक है। क्यों न अहिंसावादी इस कट्टरता के खिलाफ बड़ी लकीर खींचे।”
उनका कहना है कि प्रकृति के साथ आज अन्याय हो रहा है। उसको बचाना हम सभी की जिम्मेवारी है। शराबबंदी अभियान से जुड़ी रही भट्ट बिहार सरकार द्वारा राज्य में की गई शराबबंदी पर प्रसन्न्ता जाहिर करते हुए कहती हैं कि यह अच्छा कदम है।
उन्होंने हालांकि कहा कि इसे जनता को समझाना होगा। उन्होंने कहा कि केवल कानून लगाकर किसी भी चीज पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती। उन्होंने कहा कि लोकशक्ति के बाद ही बिहार में शराबबंदी सफल होगी।
विनोबा भावे के भूदान आंदोलन, उत्तराखंड में चिपको आंदोलन, शराबबंदी, खनन और नदी बचाओ जैसे आंदोलनों से जुड़ी रही राधा भट्ट का कहना है कि आज विकास के नाम पर विषमता बढ़ी है जिस कारण हिंसा भी बढ़ी है। प्रकृति के साथ भी अन्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि आज विकास की अवधारणा उपभोगवाद हो चुका है, जो सही नहीं है।
भट्ट मानती हैं कि जीवन तो समाज के लिए कुछ सार्थक कर गुजरने का नाम है। वह कहती हैं कि वह उस गिलहरी की तरह अपना काम करना जानती हैं जो भगवान राम के श्रीलंका जाने के लिए सेतुबंध बनाने की खतिर बहुत अल्प ही सही, लेकिन निरंतर सहयोग देती रही। किसी भी काम का नतीजा तुरंत मिले, ऐसी कल्पना भी नहीं करनी चाहिए। बस आपके विचार और आपकी दिशा सही होनी चाहिए। –आईएएनएस
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