अयोध्या में श्रीराम मंदिर 2017 में बनकर रहेगा : शंकराचार्य

रीवा, 24 जनवरी । श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या से पधारे परमपूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानन्द जी महाराज, धर्मसभा में बोलते हुए कहा कि उज्जैन में लगने बाले सिंहस्थ के समय पूज्य संतो की धर्म संसद में मंदिर निर्माण की तारीख का एलान कर दिया जायेगा।

जगतगुरु शंकराचार्य ने धर्मसभा में कहा कि 2017 में मंदिर बन जाने की घोषणा की। पूज्य स्वामी ने कहा कि हिन्दुओं की विशाल ताकत से मंदिर का निर्माण किया जायेगा।

फोटो: राम की पदी, फैज़ाबाद सौजन्य जिला वेबसाइट

स्वामी जी ने कहा कि मंदिर तो 6 दिसम्बर 1992 को ही अयोध्या में बन गया किन्तु अब तो विश्व का सबसे ऊंचा और भव्य मंदिर बनाने का संकल्प है।

सिरमौर चौराहा हनुमान मंदिर में हिन्दू स्वाभिमान सेना द्वारा आयोजित धर्मसभा में जगतगुरु शंकराचार्य जी को सुनने रीवा शहर में बड़ी संख्या में हिन्दू समाज एकत्रित हुआ।

पूज्य स्वामी ने धर्मसभा में बताया कि बाबर के नाम से देश में किसी मस्जिद का निर्माण नहीं होगा। भगवान श्रीराम अयोध्या में जन्म लिया जहां उनका मंदिर भव्यता के साथ बनेगा जिसे देश की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती। अब समय आ गया है कि अतिशीघ्र मंदिर का निर्माण हो।

 हिन्दू स्वाभिमान सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र तिवारी ने स्वामी जी की अगुवानी कर कार्यक्रम का संचालन किया एवं सभा का मार्गदर्शन किया। धर्मसभा के पूर्व पूज्य स्वामी जी की आरती एवं सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा में माल्यार्पण कर उनको याद किया गया।

विशाल रैली के बाद सौपा गया ज्ञापन: धर्मसभा के बाद संगठन द्वारा रीवा शहर में ऐतिहासिक रैली निकालकर देश के प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। पहलीवार रीवा में मंदिर निर्माण को लेकर इतनी बड़ी रैली निकली।

रीवा एस.डी.एम.ने शिल्पी प्लाजा चौराहा में अगुवानी कर ज्ञापन लिया जिसमें मुख्य रूप से धारा 370 हटाने, जम्मू कश्मीर से आकर शरणार्थी शिविरों में रहने बाले हिन्दू समाज को स्थायित्व कर पुन: अधिकार दिलाने, देश से बंग्लादेशी सहित घुसपैठियों को बाहर करने, संसद मे कानून बनाकर श्रीराम मंदिर का निर्माण कराने, म.प्र.में जारी गो तस्करी रोकने जैसी प्रमुख मांगों को रखा गया।

धर्मसभा एवं रैली को लेकर रीवा नगर में जिला प्रशासन द्वारा भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी ताकि हिन्दू स्वाभिमान सेना द्वारा आयोजित धर्मसभा शान्ति एवं व्यवस्थित रूप से सम्पन्न कराई जा सके।  (हि.स.)