नई दिल्ली, 17 जनवरी । केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है।
इससे पहले केंद्र ने न्यायालय में दावा किया था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कभी मुस्लिम शैक्षणिक संस्थान था ही नहीं।
सर्वोच्च न्यायालय में मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्ष राज्य होने के नाते केंद्र कोई अल्पसंख्यक संस्थान की स्थापना नहीं कर सकती।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी रविवार को मुकुल रोहतगी की इस दलील को सही ठहराया है। उन्होंने कहा है कि किसी भी विश्वविद्यालय में धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन गलत है।
दरअसल स्मृति ईरानी और केंद्र सरकार ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 के अनुच्छेद 7 का हवाला देते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय किसी भी लिंग और किसी भी नस्ल, जाति, या वर्ग के लिए खुला रहेगा और किसी शिक्षक या छात्र के रूप में दाखिले के लिए पात्र बनाने के लिए किसी व्यक्ति पर धार्मिक आस्था या पेशे की कसौटी लागू करना विश्वविद्यालय के लिए वैध नहीं होगा।
इससे पहले यूपीए सरकार ने 22 फरवरी 2011 को दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया को अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय का दर्जा दिया था। अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय होने के बाद इसमें मुस्लिम छात्रों के लिए 50 फीसद सीटें आरक्षित हो गई, जबकि एससी/एसटी के आरक्षण खत्म कर दिए गए थे।
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