शिमला 30 मई (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश में प्रसव पूर्व लिंग जांच परीक्षण (पीएनडीटी) अधिनियम के प्रावधानों का कडाई से पालन किया जा रहा है, और दोषी क्लिनिकों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। यही कारण है कि प्रदेश में लिंग अनुपात में सुधार हुआ है। हिमाचल प्रदेश में मौजूदा लिंग अनुपात 1000/933 है।
यह बात हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य सुरक्षा एवं नियमन निदेशक कैप्टन रमन कुमार शर्मा ने सोमवार को यहां राज्य उपयुक्त प्राधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित राज्य सलाहकार समिति की बैठक में कही। उन्होंने कहा कि जिलों में गठित समितियों तथा राज्य स्तरीय समिति द्वारा वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों में 265 अल्ट्रासाउण्ड क्लिनिकों के 602 निरीक्षण किये गए तथा अधिनियम के अनुरुप कमियां पाए जाने पर चेतावनियां जारी की अथवा कानूनी कार्रवाई की गई।
उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों को और अधिक निरीक्षण के लिये निर्देश जारी किये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्लिनिक का वर्ष में कम से कम चार बार निरीक्षण सुनिश्चित बनाया जाए। उन्होंने कहा कि उनके समक्ष दायर छः अपीलों का फैसला हो चुका है और कुछ अपीलें माननीय न्यायालयों में विचाराधीन हैं।
कैप्टन रमन ने कहा कि राज्य में लिंग दर में सुधार की दिशा में बहु आयामी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कन्याओं के प्रति लोगों की सोच में बदलाव एवं इससे जुड़ी सामाजिक बुराईयोंको समाप्त करने के लिये जन-जागरुकता अभियानों में पंचायती राज संस्थानों, स्वैच्छिक संस्थाओं एवं आम लोगों को सम्मिलित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा संवेदनशील जिलों में जागरूकता शिविरों के माध्यम से लोगों को कन्या की महत्ता एवं अधिनियम के कठोर प्रावधानों की जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह केऔर शिविरों का आयोजन किया जाएगा।
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