वाशिंगटन, 17 अप्रैल| केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कहा है कि वैश्विक विकास के वित्तीयन के लिए अपने पास उपलब्ध राशि का वे मूल्यांकन करें और यदि यह नाकाफी है तो अतिरिक्त कोष जुटाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करें। जेटली ने आईएमएफ की बैठक में कहा, “आकस्मिक वित्तीयन का विश्वसनीय स्रोत बने रहने के लिए यह जरूरी है कि वैश्विक विकास के स्तर, व्यापार और पूंजी प्रवास के स्तर जैसे बदलते वैश्विक हालात के मुताबिक कोष उपलब्धता का मूल्यांकन किया जाए।”
उन्होंने यहां दिए गए एक अन्य संबोधन में कहा, “अतिरिक्त सस्ते वित्तीयन की बाधाओं और साथ ही इसकी मांग में हो रही वृद्धि को देखते हुए विश्व बैंक को अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।”
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम के साथ हुई एक बैठक में जेटली ने खास तौर से कहा कि संस्थान को अपने सालाना वित्तीयन कोष का आकार बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करना चाहिए।
वित्त वर्ष 2015 में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी ने साझेदार देशों और निजी कंपनियों को ऋण, ग्रांट, शेयर निवेश और गारंटी के रूप में कुल 59.8 अरब डॉलर दिए हैं।
जेटली यहां विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की बसंत बैठक में हिस्सा लेने आए हैं। उनके साथ भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन, आर्थिक सचिव शक्तिकांत दास और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम तथा अन्य प्रमुख अधिकारी भी आए हैं।
जेटली ने आईएमएफ में शेयरधारिता समीक्षा के लिए अक्टूबर 2017 की समय सीमा का भी स्वागत किया और कहा कि नए कोटा में विकासशील देशों का मताधिकार बढ़ना चाहिए।
उन्होंने विश्व बैंक में भी मताधिकार की समीक्षा की जरूरत पर बदल दिया।
उन्होंने साथ ही कहा कि विश्व बैंक के शीर्ष प्रबंधन में भारतीयों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि संस्थान में भारतीय विशेषज्ञ बेहतरीन योगदान कर रहे हैं।
अमेरिका यात्रा के अगले पड़ाव में वह न्यूयार्क जाएंगे। वहां वह विश्व ड्रग समस्या पर संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करेंगे। वह ‘मेक इन इंडिया-द न्यू डील’ विषय पर एशिया सोसायटी को भी संबोधित करेंगे तथा देश में निवेश आकर्षित करने के लिए प्रमुख फंड को भी संबोधित करेंगे। (आईएएनएस)
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