भोपाल, 31 मई (जनसमा)। वन प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में सदा ही अग्रणी रहा है। देश में पहली वन कार्य-योजना मध्यप्रदेश ने वर्ष 1894 में बनाई थी जिसका दूसरे प्रदेशों ने अनुसरण किया। मध्यप्रदेश के वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने यह बात नरोन्हा प्रशासन अकादमी में वानिकी एवं वन्य-प्राणी विषय पर एक दिवसीय संवाद का शुभारंभ करते हुए कही।
संवाद में सभी क्षेत्रीय वन वृत्त, अनुसंधान विस्तार, कार्ययोजना इकाइयों तथा राष्ट्रीय उद्यानों में पदस्थ मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी भाग ले रहे हैं। इसमें नदियों के संरक्षण विशेषकर नर्मदा एवं क्षिप्रा नदी के किनारे वनीकरण, वन संरक्षण, सुदृढ़ीकरण, विलुप्तप्राय: प्रजातियों का संरक्षण-संवर्द्धन, गिद्ध संरक्षण, वन्य-जीवों के लिए पानी की सुविधा और वन समितियों के माध्यम से पौधारोपण विषय पर मंथन हुआ। मंथन के आधार पर इन विषयों की भविष्य की रणनीति तैयार होगी।
वन मंत्री डॉ. शेजवार ने कहा कि प्रदेश में इसी वर्ष से नदियों विशेषकर नर्मदा और क्षिप्रा का संरक्षण शुरू हो रहा है। वन विभाग की इसमें मुख्य भूमिका रहेगी। वन मंत्री ने कहा कि वन विभाग वन, वन्य प्राणी संरक्षण-संवर्द्धन, जलवायु परिवर्तन, विलुप्त होते वन और वन्य-प्राणी को बचाने, ईको टूरिज्म, वन अधिनियम क्रियान्वयन में उल्लेखनीय कार्य करता रहा है। इस नई चुनौती का भी सफलतापूर्वक निर्वहन करेगा। डॉ. शेजवार ने कहा कि नदी संरक्षण में दूसरे विभागों को भी जोड़ना चाहिए जो नदी में प्रदूषण होने ही न दें।
मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा ने कहा कि वन अधिकारियों ने अपने चुनौतीपूर्ण कार्यों से न केवल देश में वरन विदेशों में भी मध्यप्रदेश को पहचान दिलाई है। उन्होंने आशा की कि आज के मंथन में ठोस परिणाम निकलेंगे जिससे पुख्ता योजना बनेगी। डिसा ने कहा कि 1 माह के भीतर योजना को अंतिम रूप दे दिया जायेगा।
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