नई दिल्ली, 25 अक्टूबर | भारत और बहरीन ने कहा है कि किसी भी देश द्वारा आतंकवादियों का महिमामंडन स्वतंत्रता सेनानी के रूप में नहीं करना चाहिए और जहां भी आतंकवादी अड्डे हैं, उसके खिलाफ सभी देशों से मुकाबले की अपील की। बहरीन की राजधानी मनामा में सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह तथा बहरीन के आंतरिक मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल शेख राशिद बिन अब्दुल्लाह अल खलीफा के बीच व्यापक बातचीत के बाद यह बात कही गई।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए शेख राशिद ने कहा कि बहरीन के पूरब तथा पश्चिम से हमेशा संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ने तथा आपसी व क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करने की आशा करते हैं।”
राजनाथ सिंह बहरीन की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं, जो मंगलवार को समाप्त हो गई।
शेख राशिद ने आतंकवाद से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच किए गए समझौते के तहत बहरीन-भारत संयुक्त संचालन समिति की पहली बैठक का स्वागत किया।
दोनों देश इससे समहत हैं कि एक देश द्वारा घोषित आतंकवादी को किसी दूसरे देश द्वारा स्वतंत्रता सेनानी कहकर उसका महिमामंडन नहीं किया जा सकता है। साथ ही दोनों देशों ने दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल को सभी देशों से खारिज करने तथा आतंकवादियों के मौजूदा बुनियादी ढांचे के खिलाफ लड़ने की अपील की।
शेख राशिद ने कहा कि बहरीन को आतंकवादी गतिविधियों का अनुभव रहा है। आतंकवाद के कारण न सिर्फ जीवन को हानि व नुकसान हुआ है, बल्कि अवसंरचना को भी नुकसान पहुंचा है।
उन्होंने कहा, “संयुक्त संचालन समिति को चुनौतियों से निपटने के लिए हम किस प्रकार साथ मिलकर काम करें, दौरों व विशेषज्ञों का आदान-प्रदान कर सहमति जताए गए फैसलों की प्रगति पर किस प्रकार नजर रखें और साझा उद्देश्यों को कैसे प्राप्त करें, इसपर ध्यान देना चाहिए।”
राजनाथ ने बहरीन को सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने वाला शिष्ट व खुले समाज का देश करार देते हुए कहा, “परस्पर दौरों से द्विपक्षीय संबंध विकसित होंगे।”
उन्होंने कहा कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा है और भारत बहरीन के साथ संयुक्त आतंकवाद रोधी सहयोग सुदृढ़ करने के लिए तैयार है।
दोनों देशों ने समझौतों के क्रियान्वयन के लिए उच्चस्तरीय दौरों के आदान-प्रदान को सहमति दी।
दोनों राष्ट्रों ने आतंकवाद के हर रूप के खिलाफ कड़ा रुख लेने पर सहमति जताते हुए कहा, “आतंकवाद तमाम देशों व समुदायों के लिए खतरा है।”
उन्होंने आतंकवाद को किसी नस्ल, धर्म या संस्कृति से जोड़ने से इंकार कर दिया और आतंकवाद रोधी समझौते के सक्रियतापूर्वक क्रियान्वयन पर सहमति जताई, जिसके लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया गया है, जो दौरे से इतर अपनी पहली बैठक कर चुकी है।
दोनों देशों ने समिति की नियमित बैठक तथा आतंकवाद से संबंधित जांच तथा आतंकवाद सहित संगठित अपराध व मादक पदार्थो की तस्करी पर सूचनाओं के आदान-प्रदान का फैसला किया। –आईएएनएस
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