अरुल लुइस=====संयुक्त राष्ट्र, 15 अप्रैल | भारत ने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बगैर दो टूक कहा कि आतंकवादियों और उनके मददगारों को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची से बचाने के लिए ‘गोपनीय वीटो’ का इस्तेमाल हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद पर आयोजित एक बैठक में कहा कि गोपनीयता के कारण जवाबदेही तय करने तथा दंड सुनिश्चित करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
उनका इशारा चीन द्वारा पाकिस्तान तथा वहां के आतंकवादियों के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के विरोध में चीन की ओर से दो बार किए गए वीटो को लेकर था। चीन ने पिछले माह पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकवादियों की सूची में डाले जाने से रोक दिया था, जिस पर जनवरी में भारतीय राज्य पंजाब के पठानकोट में स्थित भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हमले की साजिश का आरोप है।
चीन ने वर्ष 2008 के मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता लश्कर-ए-तैयबा के सरगना जकी-उर-रहमान लखवी को रिहा करने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव के तहत कार्रवाई की भारत की मांग की राह में भी रोड़े अटकाए थे।
इन्हीं संदर्भो में अकबरुद्दीन ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘आतंकवादी गतिविधियों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को खतरा’ विषय पर हुई बैठक में कहा कि अल कायदा, तालिबान तथा आईएसआईएस प्रतिबंध समिति के 15 सदस्यों को वीटो प्राप्त है और समिति से बाहर किसी को नहीं बताया जाता कि विशेष दृष्टांत में किसने इसका इस्तेमाल किया।
अकबरुद्दीन ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को कभी औपचारिक तौर पर नहीं बताया जाता कि क्यों और किस प्रकार आतंकवादियों को प्रतिबंध सूची में डालने की मांग स्वीकार नहीं की गई?”
उन्होंने कहा, “प्रतिबंध समिति जैसे आतंकवाद विरोधी तंत्र को इसे लेकर विश्वास बहाल करने की जरूरत है।”
इस परिचर्चा में संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि लियु जीयी भी शामिल थे।
उनसे जब एक संवाददाता सम्मेलन में हालिया वीटो के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मसूद अजहर आतंकवादी समझे जाने के लिए ‘सुरक्षा परिषद की शर्तो’ पर खरा नहीं उतरता।
ताज्जुब की बात यह है कि गुरुवार की चर्चा से पहले चीन के स्थायी प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र सदस्यों के नाम एक नोट भी जारी किया, जिसमें आतंकवाद से लड़ाई के खिलाफ ‘दोहरा मापदंड नहीं अपनाने’ की अपील की गई है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने चर्चा के दौरान दावा किया कि उनका देश संभवत: उन कुछ देशों में है, जहां सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए मंत्री स्तरीय समिति है।
चर्चा में भाग लेते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने देशों द्वारा आतंकवाद को दी जा रही मदद का मुद्दा उठाया और कहा, “हमें सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।”
आतंकवाद की वैश्विक समस्या को रेखांकित करते हुए अकबरुद्दीन ने कहा, “इस साल के शुरुआती तीन महीने में दुनिया के 38 देशों में विभिन्न आतंकवादी घटनाओं में 2,850 लोगों की जान चली गई है, जबकि करीब 4,500 घायल हो गए हैं।”
आतंकवाद की इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने ‘कॉम्प्रीहेन्सिव कॉन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ को जल्द से जल्द अंगीकार करने पर जोर दिया, जो आतंकवाद तथा आतंकवादियों को लेकर विभिन्न देशों की अलग-अलग परिभाषाओं के कारण पिछले 20 साल से भी अधिक समय से लंबित है। कुछ देश आतंकवादी गतिविधियों को ‘राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन’ और आतंकवादियों को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ के रूप में देखते हैं।
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