आतंकवाद का समाधान सूफी शिक्षाओं में

नई दिल्ली, 11 जनवरी (जनसमा)। मुस्लिम स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया व तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के तत्वावधान में रविवार को प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में‘आतंकवाद का समाधान सूफी शिक्षाओं में’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
सेमनार में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार अखलाक अहमद उस्मानी ने कहा कि अमरीका अपने हथियारों के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए दुनिया में आतंकवाद का खेल खेल रहा है और इस्लाम धर्म को बदनाम करने के लिए वहाबियों का इस्तेमाल कर रहा है। इस्लाम धर्म पूर्ण शांति का धर्म है। इसका हिंसा से कोई वास्ता नहीं है। अगर कोई आतंकवाद जैसे घिनौने काम करता है और अपने आप को इस्लाम धर्म से जोड़ता है तो वह इस्लाम का मानने वाला नहीं है।

एम एस ओ ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर शुजाअत अली कादरी ने कहा कि आतंकवाद का समाधान सूफी शिक्षाओं में ही है। बिना सूफ़ी संतों के उपदेशों का पालन किए आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जा सकता है। सूफियों ने हमेशा शांति और भाईचारे व मोहब्बत का पाठ पढ़ाया है ।

उन्होंने कहा कि आज कुछ शक्तियां युवाओं को बहला फुसलाकर हिंसा के रास्ते पर ले जाना चाहती हैं। ऐसे युवाओं से अपील है कि वे किसी के बहकावे में न आएं बल्कि इस्लाम और मानवता की सेवा करनी है तो वह सूफ़ी विद्वानों शिक्षाओं का पालन करके अपने जीवन सवारें और दूसरों की मदद करें।

सदाए सूफियाए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ ने कहा कि सारी दुनिया में जहां भी आतंकवाद फैल रहा है वहां इन सभी में खारजयों का हाथ है और वे पेट्रो डॉलर द्वारा युवाओं को बहला फुसलाकर कट्टरता के रस्ते पर डालते हैं। ऐसी परिस्थितियों में सूफ़ी विद्वानों की शिक्षाओं को आम करें और ख्वाजा गरीब नवाज के संदेश को दुनिया के हर कोने में पहुंचाएं ताकि दुनिया से हिंसा और आतंकवाद का खात्मा हो सके।

तंजीम उलेमा.ए.इस्लाम के संयोजक मुफ्ती अशफाक हुसैन कादरी ने कहा कि सूफ़ी विद्वानों की शिक्षाओं से भटक कर जो लोग कहीं और इस्लाम को ले जाना चाहते हैं वह रास्ता ही आतंकवाद की ओर जाता है।