प्रभुनाथ शुक्ल===
पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में 16 नवंबर को आतंकी हमला था हुआ था। जिसमें 132 स्कूली छात्रों के साथ 141 को बड़ी निर्ममता से मौत के घाट उतारा गया था। इस हमले को तहरीक-ए-तालिबान के आतंकी समूह ने अंजाम दिया था।
फोटोः पाकिस्तान के लाहौर में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के परिजन विलाप करते हुए। (सिन्हुआ/सज्जाद/आईएएनएस)
अब दूसरा सबसे बड़ा हमला पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के रिहायशी वाले इलाके में स्थित एक पार्क में हुआ। जिसमें 70 से अधिक लोग मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी भी तहरीक-ए-तालिबान से अलग हुए आतंकी संगठन जमातुल अरहार ने ली है। आतंकी हमले में 30 मासूम बच्चे मारे गए हैं जो पार्क में बेखौफ होकर बचपन की मस्ती में मशगूल थे। दो दर्जन से अधिक लोगों की हालत बेहद नाजुक है जबकि 300 लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में 20 से अधिक लोग ईसाई समुदाय के हैं। चरपंथियों के निशाने पर ईसाई पंथ के लोग ही थे। इससे यह साफ जाहिर होता है कि आंतकियों ने इसकी पूर्व प्लानिंग कर रखी थी।
इन दोनों हमलों पर गंभीरता से विचार किया जाए तो एक बात साफ होती है कि आंतकियों का मूल मकसद आम लोगों की भावनाओं को भड़काना है। लोगों में असुरक्षा का माहौल पैदा करना है। हमलों में स्कूली मासूमों को निशाना बनाया गया। आतंकी हमले की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपना अमेरिका दौरा निरस्त कर दिया। लेकिन सवाल उठता है कि पाकिस्तान क्या आतंकी हमलों से सबक लेगा। पाकिस्तान क्या अपनी पीड़ा को भारत की पीड़ा समझेगा। आतंक चाहे जिस प्रकार का हो उसका चेहरा बेहद क्रूर होता है। निरीह मासूमों के कत्ल को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
इस घटना में मानव बम का इस्तेमाल किया गया। इसकी समानता पेशावर हमले से मिलती है। इसमें भी मानव बम का उपयोग किया गया था। पेशावर हमले के बाद पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ अड़ियल रुख अपनाया। बहुतायत संख्या में पाक की जेलों में बंद आतंकियों को सजाए मौत की सजा दी गयी। फांसी की सजा पर लगा प्रतिबंध भी सरकार ने हटा दिया। लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखा। पाकिस्तान जब तक भारत में प्रयोजित आतंकवाद को संजीदगी से नहीं लेगा वह भी इस पीड़ा से समय-समय पर कराहता रहेगा।
आतंकवाद के सफाए के लिए भारत पाकिस्तान की हर संभव मदद करने को तैयार रहता है। पठानकोट हमले की जांच के लिए पाक से जेआईटी आयी है। जांच टीम को भारत सरकार और उसकी सुरक्षा एजेंसियों को सारी सुविधा और सहयोग मुहैया कराए गए हैं। जांच टीम पाठानकोट एयरबेस पर भी गयी। हलांकि देश के राजनैतिक दलों की ओर से इसका कड़ा विरोध भी हुआ, लेकिन मोदी सरकार पाकिस्तान को कोई मौका नहीं देना चाहती है।
मुंबई आतंकी हमले पर भी पाकिस्तान को अजमल आमिर कसाब के संबंध में सारी जानकारी उपलब्ध कराई गई थी। पाकिस्तान के एक आलाधिकारी ने कबूल भी किया था कि मुंबई आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने जिस बोट का इस्तेमाल किया था, वह पाकिस्तानी थी। लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान ने कसाब को अपना नागरिक नहीं माना। क्योंकि इसके पीछे उसके घरेलू और राजनैतिक कारण हैं।
भारत में चुनी हुई सरकार स्वतंत्र रूप से काम करती है जबकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं है। वहां सरकार दिखावे की होती है जबकि सारा काम सेना और खुफिया एजेंसी आईएएसआई करती है। जिससे इस समस्या का हल फिलहाल नहीं निकलने वाला है। जिस आतंकवाद को पाकिस्तान अपनी सरजमीं से सालों से पालता पोसता चला आ रहा है आज उसकी कीमत भी उसे चुकानी पड़ रही है। भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां सेना की सह पर चलायी जाती हैं। आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए घिनौना जहर है। हमारे यहां एक देशी कहावत है कि जाके पैर न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई।
पेशावर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था-अच्छे और बुरे तालिबान में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी जब तक कि अंतिम आतंकवादी नहीं मारा जाता है। पाकिस्तान सरकार का यह बयान वास्तव में संजीदगी भरा था। पेशावर का यह आतंकी हमला दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी है।
इसके पहले 2004 में रूस में आतंकी हमला हुआ था जिसमें 300 से अधिक स्कूली बच्चों को जान गंवानी पड़ी थी। यह हमला चेचेन्या विद्रोहियों की तरफ से किया गया था। वहां भी आतंकी फ्रंटियर कोर की वर्दी पहन कर स्कूल में घुस कर मासूमों की हत्या की थी। दुनिया भर में सिर उठाते आतंकवाद के खिलाफ भारत खड़ा है। लेकिन अब वक्त आ गया है जब पाकिस्तान को भारत के साथ मिल कर इसका मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए। क्योंकि यह सिद्ध है कि भारत में जो आतंकवाद की खेती की जा रही है उसे पाकिस्तान की सरजमीं से चलाया जा रहा है।
मुंबई की 26/11 की घटना हो या हाल में पठानकोट के एयरबेस का। इस हमले में पाकिस्तान का खुला प्रमाण होने का हाथ मिला है। आतंकियों के पास से पाकिस्तान निर्मित दहशतगर्दी के साजो सामान खाद्य सामग्री और दूसरी वस्तुाएं मिली हैं। इससे यह साबित हो गया है कि भारत के खिलाफ आतंकी घटना को पाकिस्तान की सरजमीं से अंजाम दिया जा रहा है।
भारत और पाकिस्तान एक साथ एक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की घोषणा करें। अगर ऐसा होता है तो पूरी दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ बेहतर संदेश जाएगा। लेकिन पाकिस्तान को यह कबूलनामा कभी तैयार नहीं होगा। क्योंकि वहां की सरकारें ही भारत विरोध के बिसात पर चुनी जाती हैं।
पाकिस्तान में किसी दल की सरकार बने उसकी मजबूरी होती है कि वह भारत विरोधी अभियान में सेना और आतंकवाद की मदद करें। अगर ऐसा वह नहीं करती हैं तो खुद पाकिस्तानी सेना उसे स्थिर नहीं रहने देगी। भारत में आतंकी हमले की साजिश रचने वाले लखवी को पाक अदालत ने जमानत दे दिया है। एक ओर पाकिस्तान अच्छा और बुरा तालिबान में कोई फर्क नहीं की बात करता है। दूसरी तरफ एक देश पर हमले की साजिश रचने वाले आतंकी हाफिज सईद को जमानत मिल जाती है लेकिन बाद में गंभीर आलोचना और भारत के कड़े प्रतिबाद के बाद उसे पुन: जेल भेज दिया जाता है।
पाकिस्तान को आतंकवाद पर अपना नजरिया बदलना चाहिए। एक बेहतर संकल्प के साथ आतंकवाद की साझा लड़ाई में दोनों देशों को एक साथ आना चाहिए। जिससे आतंक से जुझती दुनिया को एक नया संदेश जाए। (आईएएनएस/आईपीएन)
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं।)
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