पठानकोट, 04 जनवरी । पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में कैप्टन फतेह सिंह शहीद हो गए।
वे बेहतरीन शॉर्प शूटरों में शामिल थे। वह अब तक बिग बोर सेक्शन लांग रेंज 500 मीटर राइफल में कुल 64 मेडल जीत चुके थे। इसमें 40 गोल्ड, 14 सिल्वर और 10 ब्रांज मेडल शामिल हैं। यही नहीं वह दो बार इंटरनेशनल स्तर पर पदक जीत चुके थे। इसमें दिल्ली में 1995 में हुई कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल और विदेश में हुए राइफल शूटिंग मुकाबले में सिल्वर मेडल शामिल है। गोल्ड मेडल जीतने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने उन्हें सम्मानित किया था।
यही नहीं उन्हें राष्ट्रपति सेना मेडल से भी सम्मानित कर चुके थे। सेना से रिटायर होने से पहले वह सेना की शूटिंग टीम के कोच भी रहे थे। वह देश की सेवा के लिए इतने समर्पित थे कि साल 2009 में रिटायर होने के छह माह बाद ही डीएससी में फिर से देश की सेवा के लिए भर्ती हो गए।
बेटा गुरदीप सिंह दीपू राणा भी वर्तमान में 15 डोगरा रेजिमेंट में असम के सिक्कम में ड्यूटी कर रहा है। भांजे सुखदेव सिंह ने कहा-फतेह सिंह की पत्नी को कुछ नहीं बताया गया है। कहा है कि सिर्फ जख्मी हुए हैं। इलाज चल रहा है। खबर सुनने के बाद फतेह सिंह की तस्वीर देखते ही बहन संतोष देवी बिलख-बिलख कर रोने लगी।
बड़े भाई तरसेम सिंह शहीद की मृतक देह लेने के लिए पठानकोट पहुंच चुके हैं। सारी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद सोमवार तक उनकी देह मिल जाएगी। शहीद के छोटे भाई सुरजीत सिंह ने कहा-फतेह सिंह बेटी की शादी की तैयारी कर रहे थे। किसी अच्छे लड़के की तलाश में थे। लेकिन उनकी बेटी को ब्याहने की तमन्ना मन में ही रह गई। पूरे गांव को अपने वीर बेटे की शहादत पर नाज है। उनका भाई सदा उनके साथ खड़ा रहता था।(हि.स.)
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