जो किशोर आत्महत्या की कोशिश करते हैं, उनमें उनके जीवन के 20वें दशक में हृदय रोग होने का खतरा काफी अधिक होता है। एक नए शोध से यह जानकारी मिली है। इस शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि उन युवा पुरुषों का रक्तचाप अधिक होता है और उनमें सिस्मेटिक लो-ग्रेड इनफ्लामेशन पाया जाता है, जिन्होंने अपनी किशोरावस्था में आत्महत्या की कोशिश की थी।
वहीं, दूसरी तरफ अगर किसी किशोरी ने आत्महत्या की कोशिश की हो तो आगे चलकर युवावस्था में उसके मोटापे से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा है।
अमेरिका युनिवर्सिटी ऑफ नार्थ कैरोलिना के अस्सिटेंट प्रोफेसर और मुख्य शोधार्थी लिली शानाहन का कहना है, “किशोरों में आत्महत्या की कोशिश को आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्या माना जाता है, लेकिन यह युवा होने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी संकेत है।”
यह शोध अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। साथ ही यह अलग-अलग शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर के लोगों के बीच पाया गया है।
शानाहन बताती हैं, “किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति किशोरियों के मुकाबले अधिक होती है, जिन्हें यह बाद में जाकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देता है।”
इसके अलावा पिछले शोधों में पाया गया था कि आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले किशोरों में आगे चलकर सामाजिक अलगाव, अस्वास्थ्यकर आदतें, शिक्षा और नौकरी में कम उपलब्धियां हासिल होती हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इन सब के अलावा उनके शोध से पता चला है कि आगे चलकर उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा होता है।
Follow @JansamacharNews