आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम पर संशय बरकरार

08032016 Yamuna prstisids MCD workerनई दिल्ली, 08 मार्च (जनसमा)। आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से यमुना नदी के बहाव क्षेत्र में होने वाले “विश्व सांस्कृतिक महोत्सव”  कार्यक्रम को लेकर कुछ पर्यावरणविदों ने आपत्ति जताई है और मामला एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में चल भी रहा है। बताया जाता है कि इस सब के मद्देनजर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने समापन समारोह में जाने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रपति इस कार्यक्रम के समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे।

टीवी फोटो: दवा छिड़कते हुए दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी

उधर, एक टीवी चैनल एनडीटीवी को 04 मार्च को श्री श्री रविशंकर ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि हम यमुना की सफाई करने निकले हैं और उसको प्रदूषित करने की बात करना इस सदी का सबसे बड़ा मज़ाक है।

उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। हम नदी को साफ करने निकले हैं। हमें तो पुरस्कार दिया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता आनंद आर्य ने एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा कि जिस स्थान पर यह आयोजनक हो रहा है उससे जैव विविधता को नुकसान तो पहुंच ही रहा है और यमुना की वाटर बॉडी को समतल कर दिया गया है।

कुछ पर्यावरणविदों का यह भी कहना है कि आयोजन के लिए निर्माण के चलते हुए कई प्रजातियों के परिंदे यहां से चले गए हैं।

कांग्रेस के प्रवक्ता पी.एल. पूनिया ने कहा है कि पर्यावरणविदों ने कहा है कि इस आयोजन से यमुना के पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। राष्ट्रपति जी भी इस कार्यक्रम में नहीं जा रहे हैं।

दूसरी ओर पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि जो संस्था इस बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर रही है वह किसी और जगह करने के बारे में विचार करे।

यमुना में सफाई का कार्यक्रम निरंतर जारी है और भारी तादाद में पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली के नगर निगम के कर्मचारी भारी तादाद में कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं और टैंकरों की सहायता से पानी में कीटनाशकों का घोल भी डाला जा रहा है और छिड़काव किया जा रहा है। कुछ जानकारों का कहना है कि इससे जैव विविधता को गंभीर खतरा पहुंचेगा।

एक जानकारी के अनुसार दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के 300 कर्मचारी कीटनाशकों की सफाई में लगे हुए हैं और यह 13 मार्च अपना काम करते रहेंगे।

दूसरी ओर, पिछले कई सालों में यमुना की सफाई के नाम पर अब तक 12 सौ करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं और 18 साल से सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले पर सुनवाई चल रही है।

आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा यमुना में तीन दिनों के कार्यक्रम के लिए 12 सौ फीट लंबा, 40 फुट ऊंचा और 200 फुट चौड़ा मंच बनाया जा रहा है।