नई दिल्ली, 31 जनवरी |भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपेक्षाकृत निम्न मुद्रास्फीति दर, राजकोषीय अनुशासन तथा व्यापक रूप से स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के साथ मामूली चालू खाता घाटे के साथ एक सूक्ष्म-आर्थिक वातावरण बनाए रखा है। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा आज संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि वर्तमान में जारी वैश्विक मंदी के बावजूद यह मजबूती बनी रही है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि :
- केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमानों के अनुसार वर्ष 2016-17 के लिए स्थिर बाजार मूल्यों पर जीडीपी की विकास दर 7.1 प्रतिशत है, जो कि 2015-16 के दौरान 7.6 प्रतिशत थी। यह अनुमान मुख्य रूप से चालू वित्त वर्ष के पहले सात-आठ महीनों की सूचना पर आधारित है। सरकार का अंतिम उपभोग व्यय चालू वर्ष में जीडीपी विकास का बड़ा वाहक रहा है।
- जीडीपी अनुपात (वर्तमान मूल्यों पर) में स्थायी निवेश (सकल स्थायी पूंजी निर्माण) 2016-17 में 26.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि 2015-16 में 29.3 प्रतिशत था।
- 2017-18 के लिए अनुमान है कि आर्थिक विकास अब सामान्य हो जाएगा क्योंकि नए नोट आवश्यक मात्रा में चलन में वापस आ गए हैं और विमुद्रीकरण पर आगे की कार्रवाई की गई है। शेष के बारे में संभावना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2017-18 में 6 ¾ प्रतिशत से 7 ½ प्रतिशत तक वापस आ जाएगी।
वित्तीय
- अप्रैल-नवम्बर 2016 के दौरान अप्रत्यक्ष करों में 26.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- अप्रैल-नवम्बर 2016 के दौरान राजस्व व्यय में मजबूत वृद्धि को मुख्य रूप से सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन तथा पूंजी परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए अनुदानों में 39.5 प्रतिशत वृद्धि के कारण बढ़ावा मिला।
मूल्य
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति लगातार तीसरे वित्त वर्ष के दौरान नियंत्रण में बनी रही। औसत सीपीआई मुद्रास्फीति दर 2014-15 के 5.9 प्रतिशत से घटकर 2015-16 के दौरान 4.9 प्रतिशत पर आ गई तथा अप्रैल-दिसम्बर 2015 के दौरान 4.8 प्रतिशत पर बनी रही।
- थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर 2014-15 के 2.0 प्रतिशत से गिरकर 2015-16 में (-) 2.5 प्रतिशत पर आ गई और अप्रैल-दिसम्बर 2016 के दौरान इसका औसत 2.9 प्रतिशत रहा।
- मुद्रास्फीति दर में खाद्य वस्तुओं के संकीर्ण समूह से अकसर बढ़ावा मिलता है और इनमें दालों की खाद्य मुद्रास्फीति में बड़ी भूमिका रही है।
- सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति दर चालू वित्त वर्ष के दौरान स्थिर बनी रही है और इसका औसत लगभग 5 प्रतिशत रहा है।
व्यापार
- नकारात्मक निर्यात वृद्धि का रुझान 2016-17 (अप्रैल-दिसम्बर) के दौरान कुछ हद तक परिवर्तित हुआ और निर्यात 0.7 प्रतिशत बढ़कर 198.8 बिलियन तक पहुंच गया।
- 2016-17 की पहली छमाही के दौरान चालू खाता घाटा 2015-16 की पहली छमाही के 1.5 प्रतिशत से घटकर जीडीपी के 0.3 प्रतिशत पर आ गई।
विदेशी ऋण
- सितम्बर 2016 के आखिर में भारत का विदेशी कर्ज 484.3 अरब डॉलर था जो कि मार्च 2016 के आखिर के स्तर की तुलना में 0.8 अरब डॉलर कम रहा।
कृषि
- कृषि क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 4.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो कि 2015-16 के दौरान 1.2 प्रतिशत थी।
- 2016-17 के लिए 13.01.2017 तक रबी फसलों के तहत कुल क्षेत्र 616.2 लाख हेक्टेयर रहा जो कि पिछले वर्ष के इस सप्ताह की तुलना में 5.9 प्रतिशत अधिक है
- 2016-17 के लिए 13.01.2017 तक चना दाल के तहत कुल क्षेत्र पिछले वर्ष के इस सप्ताह की तुलना में 10.6 प्रतिशत अधिक रहा
उद्योग
- औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर के 2016-17 के दौरान 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि 2015-16 के दौरान 7.4 प्रतिशत थी।
सेवा क्षेत्र
- सेवा क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
(फाइल फोटो)
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