नई दिल्ली, 27 अक्टूबर । इंटरनेट बंद होने की वजह से भारत को 96.8 करोड़ डॉलर (करीब 6,485 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा 19 देशों में इंटरनेट के 22 शटडाउन के परिणामों के सर्वेक्षण के बाद सामने आया है। यह युद्धग्रस्त इराक की तरह है।
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की एक रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट के बंद होने का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कश्मीर में अशांति को रोकने के लिए भारत में इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया। तीन महीने से ज्यादा समय से अशांति के दौरान मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद हैं। इसे सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने ‘बेकार’ बताया, जिसके परिणामस्वरूप नौकरियों में कमी आई है और कई कंपनियों ने अपना संचालन राज्य से बाहर स्थानांतरित कर दिया।
ब्रूकिंग्स ने अपने अध्ययन में 19 देशों के 81 लघु अवधि के बंद का विश्लेषण किया है। यह एक जुलाई 2015 से 30 जून 2016 के बीच हुए और इसमें बंद के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को क म से कम 2.4 अरब डॉलर (16,080 करोड़ रुपये) नुकसान का अनुमान है।
इसमें अधिकतम नुकसान भारत को (96.8 करोड़ रुपये) उठाना पड़ा, इसके बाद सऊदी अरब (46.5 करोड़ रुपये) और मोरक्को (32 करोड़ रुपये) नुकसान हुआ।
वैश्विक स्तर पर 19 देशों में 753 दिन इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं। इसमें सीरिया (इस्लामिक स्टेट नियंत्रित इलाके) में सबसे ज्यादा दिनों तक 348 दिन यह सेवा बंद रही, इसके बाद मोरक्को में 182 दिन और भारत में 70 दिन बंद रहीं।
भारत में इंटरनेट शटडाउन की संख्या इराक के बराबर है।
सर्वेक्षण की अवधि के दौरान 19 देशों में 81 बार बंद इंटरनेट शटडाउन हुआ। भारत में अवरोधों की अधिकतम संख्या 22 है, जो इराक के बराबर है, इसके बाद सीरिया में आठ और पाकिस्तान में यह संख्या छह है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2016 में यूगांडा, अल्जीरिया और इराक देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिसने इंटरनेट सेवाओं को छात्रों की परीक्षा के दौरान नकल करने की चिंता तक को लेकर बाधित किया है।
समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात सरकार ने मोबाइल इंटरनेट पर चार घंटे के लिए मार्च 2016 में राजस्व तलाटी (लेखाकार) भर्ती परीक्षा के दौरान प्रतिबंध लगा दिया था।
रिपोर्ट में सरकारी अधिसूचना के हवाले से कहा गया है कि परीक्षा की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए तलाटी भर्ती परीक्षा के दौरान इंटरनेट सर्विस प्रदाता से सभी इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया सेवाओं को सुबह 9 बजे से 1 बजे तक मोबाइल के दुरुपयोग को रोकने के लिए बंद करने को कहा गया।
राष्ट्रीय इंटरनेट सेवाओं को ज्यादा बंदी का सामना करना पड़ा।
सेंटर फॉर कम्यूनिकेशन गवर्नेस के जुटाए गए आंकड़ों और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के अनुसार यह बात सामने आई है कि 11 भारतीय राज्यों को साल 2015 के बाद 37 बार इंटरनेट शटडाउन का सामना करना पड़ा, इसमें 22 मामले ऐसे हैं, जो साल 2016 के पहले नौ महीनों में हुए। इससे पता चलता है कि ब्रूकिंग्स की रिपोर्ट में अभी सभी शटडाउन को शामिल नहीं किया गया है।— देवानिक साहा , आईएएनएस
(इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। स्वतंत्र पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं। )
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