नई दिल्ली, 3 मई | भारत ने मंगलवार को जोर देते हुए कहा कि इटली के नौसैनिक सल्वातोरे गिरोने से संबंधित मामला भारतीय प्राधिकार के तहत आता है और सरकार सर्वोच्च न्यायालय में दृढ़ता से मुकदमा लड़ेगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अनुपस्थिति में अपनी ओर से जारी एक बयान में अरुण जेटली ने कहा, “हम पीड़ितों के अधिकार की लड़ाई जारी रखेंगे।”
सुषमा स्वराज अस्वस्थ हैं और फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं।
जेटली ने कहा, “मामला भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है।” उन्होंने कहा कि सरकार मामले को सर्वोच्च न्यायालय में उठाएगी।
कांग्रेस के कई नेता मुद्दे पर सवाल करना चाहते थे, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया। अध्यक्ष ने कहा, “मंत्री द्वारा अपनी ओर से जारी किसी बयान पर सवाल उठाने से संबंधित कोई नियम नहीं है।”
कांग्रेस सदस्यों ने इस दौरान भारत व इटली सरकार के बीच गुप्त समझौते (मैच फिक्सिंग) का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। इस पर हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इस तरह के किसी भी समझौते से इनकार करते हुए कहा, “हम बतौर सरकार, नारेबाजी की निंदा करते हैं।”
उन्होंने कहा, “कोई मैच फिक्सिंग नहीं हुई और वरिष्ठ सदस्यों द्वारा इस तरह की नारेबाजी सही नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह दो देशों के बीच का मामला है और मुकदमा पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय में है।
लोकसभा अध्यक्ष ने भी कहा कि इस तरह के नारों को कार्यवाही के रिकॉर्ड में जगह नहीं दी जाएगी।
हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अधिकरण ने अपने फैसले में कहा है कि साल 2012 में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी गिरोने घर लौट सकते हैं। गिरोने के साथ-साथ इटली के दूसरे मरीन मस्सीमिलियानो लातोरे पर भी भारतीय मछुआरों की हत्या का आरोप है।
इटली द्वारा जून 2015 में अधिकरण का दरवाजा खटखटाने के बाद द हेग स्थित स्थाई न्यायाधिकरण के इस फैसले को उसकी पहली बड़ी घोषणा के रूप में देखा जा रहा है।
बीमारी के कारण लातोरे साल 2014 से ही इटली में है, जबकि गिरोने यहां इटली के दूतावास में है। उसे वहां से निकलने की अनुमति नहीं है।
भारत सरकार का मानना है कि हेग स्थित न्यायधिकरण ने गिरोने की जमानत पर शर्ते लगाने का फैसला लेने का जिम्मा भारत के सर्वोच्च न्यायाल पर छोड़ दिया है। इससे साफ है कि यह मामला भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है। इटली का कहना है कि यह मामला भारत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है क्योंकि भारतीय मछुआरों की मौत भारत की सामुद्रिक सीमा में नहीं हुई थी। इटली का कहना है कि मछुआरों की मौत समुद्री डाकू समझने की गलती से हुई थी।(आईएएनएस)
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