इशरत जहां मामला मोदी को फंसाने की साजिश थी : गृहमंत्री

नई दिल्ली, 10 मार्च (जनसमा)। ‘‘इशरत जहां मामले से संबंधित शपथ पत्रों में कथित फेरबदल की गृह मंत्रालय आंतरिक जांच कर रहा है और जैसे ही तथ्य सामने आएंगे उन्हें सार्वजनिक कर दिया जाएगा।’’ यह जानकारी गुरूवार को लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में दी और कहा कि इस मामले में तत्कालीन गुजरात सरकार को बदनाम करने और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री (नरेंद्र मोदी) को फंसाने की गहरी साजिश थी।

इससे पूर्व लोकसभा में निशिकांत दुबे, अनुराग ठाकुर, सत्यपाल सिंह, किरीट सोमैया आदि सांसदों ने ‘इशरत जहां मामले से संबंधित शपथ पत्र में कथित फेरबदल’ के बारे में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।

गृहमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि आतंकवाद से सारा विश्व प्रभावित है और इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इशरत जहां मामले में जो भी तथ्य उपलब्ध थे वह रखे गए लेकिन तत्कालीन गृह सचिव द्वारा 8 सितंबर 2009 को जो दो पत्र अटाॅर्नी जनरल को लिखे गए थे वह अभी रिकाॅर्ड में उपलब्ध नहीं हैं और एक एफीडेविट की काॅपी भी उपलब्ध नहीं है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि यूपीए सरकार ने अदालत में प्रस्तुत किए गए अपने पहले शपथ पत्र में इशरत जहां को आतंकवादी बताया था लेकिन बाद में उसे बदल दिया गया। दूसरे शपथ पत्र में मामले को नई दिशा दे दी गई ताकि केस कमजोर हो जाए। आतंकवाद को अवसरवादी ‘सेक्युलरिज्म’ का जामा पहना दिया गया जिसे देश कभी स्वीकार नहीं करेगा।

इससे पूर्व निशिकांत दुबे ने इस मामले की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि अदालत में जो शपथ पत्र यूपीए सरकार ने बदलवाए, उसका उद्देश्य नरेंद्र मोदी और अमित शाह को फंसाने का था।

सत्यपाल सिंह ने कहा कि मैं इस मामले में गठित एसआईटी का अध्यक्ष रहा हूं। सत्यपाल सिंह उन दिनों मुम्बई पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी थे। अपने ध्यान आकर्षण प्रस्ताव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह केस एक ऐसा केस है जिसमें वोट बैंक की राजनीति की गई है । रिपोर्ट बदलने के लिए तत्कालीन सरकार ने अधिकारियों पर दबाव बनाया था।

किरीट सोमैया ने पूछा कि गृहमंत्री यह बताएं कि इशरतजहां, जावेद शेख, जीशान गौहर और अमजद अली की बैकग्राउंड क्या थी। उन्होंने कहा कि इशरत जहां मुम्बई में रहती थी तो अहमदाबाद क्या करने पहुंची थी? अगर वह गायब थी तो क्या उसक परिवार ने कोई शिकायत दर्ज कराई थी? इस तरह उन्होंने अनेकों सवाल उठाए।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो लोग अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं, वह सदन से गायब हैं। यह केस गुजरात के एक बड़े नेता को फंसाने का षड़यंत्र था।

इस मामले में बीजू जनता दल के लोकसभा सदस्य ने भी अपने विचार रखे।