नई दिल्ली, 16 जून | पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिंदबरम ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर इशरत जहां मामले में एक फर्जी विवाद पैदा करने का आरोप लगाया। चिंदबरम ने समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि इशरत जहां मामले में गुम हुए दस्तावेजों की जांच कर रहे गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने जांच में एक अन्य अधिकारी को ‘पट्टी पढ़ाने’ का प्रयास किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, इशरत जहां मामले में गुम दस्वाजों से संबंधित मामले की जांच कर रहे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी बी.के.प्रसाद ने एक दूसरे अधिकारी को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया, जो एक गवाह थे। उन्हें बताया जा रहा था कि उनसे क्या पूछा जाएगा और उन्हें उसका क्या जवाब देना है।
चिदंबरम ने बयान में कहा, “समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस में आज (गुरुवार) छपी खबर ने भंडाफोड़ किया है कि इशरत जहां मामले में केंद्र सरकार द्वारा दायर किए गए दो हलफनामों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार ने फर्जी विवाद पैदा किया।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “रिपोर्ट में वही बात साबित होती है, जो मैंने दोनों हलफनामे में कही थी।”
उन्होंने कहा, “कहानी का सार यही कि एक फर्जी रिपोर्ट (जांच आयोग की) भी सच्चाई को नहीं छिपा सकती। असली मुद्दा यह है कि इशरत जहां व अन्य तीन लोग फर्जी मुठभेड़ में मारे गए या नहीं। केवल मुकदमे की सुनवाई से ही सच सामने आ पाएगा, जो जुलाई 2013 से ही अदालत में लंबित है।”
चिदंबरम ने कहा कि पहला हलफनामा छह अगस्त, 2009 को दायर किया गया था, जिसमें खुफिया जानकारियों का खुलासा किया गया था और उसे केंद्र सरकार व राज्य सरकार के साथ साझा किया गया था।
बी.के.प्रसाद द्वारा जांच किए जा रहे गुम दस्तावेजों के बारे में बातचीत करते हुए चिदंबरम ने कहा, “जो भी पांच दस्तावेज गुम हुए हैं, उनमें वही बात साबित होती है, जो मैंने इस मामले में कहा था। घटनाओं के क्रम से यह साबित होता है कि हमने मामले में पूरी पारदर्शिता से काम किया।” –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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