नई दिल्ली/चेन्नई, 29 अप्रैल | सरकार ने विभिन्न कर्मचारी संगठनों और राजनीतिक दलों के दबाव में अपने पहले के फैसले को पलटते हुए शुक्रवार को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर साल 2015-16 के दौरान 8.8 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया है। पहले इस पर 8.70 फीसदी ब्याज देने की घोषणा की गई थी। केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, “मुझे आपको बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि ईपीएफ पर ब्याज की दर को बढ़ाकर 8.8 फीसदी कर दिया गया है।”
भविष्य निधि पर साल 2014-15 में 8.75 फीसदी ब्याज दिया गया था और सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) ने इसे बढ़ाकर 8.8 फीसदी करने की सिफारिश की थी। लेकिन, वित्त मंत्रालय ने इस सिफारिश को खारिज करते हुए 8.7 फीसदी ब्याज दर तय की थी और कम कमाई को इसकी वजह बताया था।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के अध्यक्ष ए. के. पद्मनाभन ने आईएएनएस को फोन पर बताया, “इसके विरोध प्रदर्शन में देश भर के श्रमिकों ने भाग लिया था, जो सफल रहा।”
पद्मनाभन ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) के सदस्य भी हैं।
ज्यादातर श्रमिक संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था और विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी संसद के अंदर और बाहर इस मामले को उठाया था।
श्रमिक संगठन और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद तपन कुमार सेन ने इस मामले को राज्यसभा में उठाया था।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के महासचिव डी. एल. सचदेव ने भी श्रमिकों के विरोध प्रदर्शन को सफल बताया। उन्होंने कहा, “हमने सीबीटी के सिफारिशों के मुकाबले ब्याज दर कम रखने का विरोध किया था। सीबीटी ने 8.8 फीसदी ब्याद दर की सिफारिश की थी लेकिन सरकार ने इसे घटाकर 8.7 कर दिया।”
सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के विद्या सागर गिरी ने आईएएनएस से कहा, “अगर सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है तो यह बहुत ही अच्छा है।”
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