लखनऊ, 1 अप्रैल| उत्तराखंड सरकार को परेशानी में डालने वाले बागी विधायकों की किस्मत का फैसला अब नैनीताल उच्च न्यायालय में 11 अप्रैल को होगा। शुक्रवार को उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई को टाल दिया गया। उच्च न्यायालय ने नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए एक अप्रैल का दिन तय किया था।
फोटोः उत्तराखण्ड से कांग्रेस के बागी विधायक 19 मार्च, 2016 को गुड़गांव के एक होटल में। (आईएएनएस)
न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष बुधवार को मामले की सुनवाई हुई थी।
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बर्खास्त विधायकों ने सदस्यता खत्म करने के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
गौरतलब है कि 18 मार्च को वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में कांग्रेस के नौ विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ खड़ा हो जाने से राज्य की सियासत में तूफान आ गया था।
इस मामले में अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने 27 मार्च को कांग्रेस विधायक विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, प्रदीप बत्रा, शैलारानी रावत, प्रणव सिंह चौंपियन और उमेश शर्मा की सदस्यता खत्म कर दी थी।
सदस्यता खत्म करने के फैसले से पहले भी बागी विधायक अदालत गए थे, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इनमें से छह बागियों ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ में विधानसभा के आदेश को चुनौती दी है।
शुक्रवार को इस मामले में अहम सुनवाई है। बागी विधायकों के अलावा कांग्रेस और भाजपा की भी इस मामले पर नजर टिकी हुई है।
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