देहरादून, 23 अप्रैल | उत्तराखंड में कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की सदस्यता पर नैनीताल उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई सोमवार तक के लिए टल गई है। बागियों के वकील ने अपना पक्ष रखने के लिए सोमवार तक का वक्त मांगा है। शनिवार की दोपहर में न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी की अदालत में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के फैसले पर सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई शुरू होते ही बागियों के वकील ने अपना पक्ष रखने के लिए सोमवार तक का वक्त मांगा, जिसका विधानसभा अध्यक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने विरोध किया।
सिब्बल ने कहा कि बागियों की सदस्यता समाप्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला सही है। इसके बाद सुनवाई दो बजे तक रोक दी गई।
दोपहर बाद दो बजे याचिका पर दोबारा सुनवाई शुरू हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने बागियों को सोमवार तक का वक्त देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल ने 27 मार्च को आदेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित नौ बागी विधायकों की सदस्यता निरस्त कर दी थी। हाईकोर्ट ने भी इस फैसले पर अपनी मोहर लगाई थी। बागियों ने विधानसभा अध्यक्ष के उसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति ध्यानी की एकलपीठ में दायर याचिका में कहा गया है कि बागियों ने पार्टी नहीं छोड़ी थी, सिर्फ सरकार के खिलाफ गए थे। साथ ही आरोप लगाया गया है कि भाजपा विधायक भीमलाल आर्य की सदस्यता खत्म करने के मामले में विधानसभा अध्यक्ष भेदभाव बरत रहे हैं।
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने अपने जवाब में कहा था कि उत्तराखंड विधानसभा में 18 मार्च को विनियोग विधेयक सदन संचालन की नियमावली व संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप पारित हुआ था।
उन्होंने कहा कि दलबदल कानून के तहत सुनवाई का पर्याप्त अवसर देकर बागी विधायकों पर कार्रवाई की गई। पूर्व में दिए गए हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में अध्यक्ष ने विगत सोमवार को अपना जवाब दाखिल कर दिया था। अदालत ने इस प्रकरण पर अगली सुनवाई के लिए 23 अप्रैल की तिथि नियत की थी।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के बागी विधायक विजय बहुगुणा का कहना है कि उनकी सदस्यता जिस आधार पर खत्म की जा रही है, वह गलत है।(आईएएनएस)
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