देहरादून, 11 फरवरी। गुरूवार को उत्तराखण्ड राज्य सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण एनडीएमए के संयुक्त तत्वाधान में प्रदेश के चार जिलों में भूकम्प का पूर्वाभ्यास किया गया। एनडीएमए के सहयोग से आज भूकम्प से सम्बन्धित माॅक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस माॅक ड्रिल में चार जिलों पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली एवं उत्तरकाशी को शामिल किया गया। साथ ही जिला देहरादून को राज्य स्तर पर इन जिलों में सहायता देने के लिए सम्मिलित किया गया।
यह माॅक ड्रिल आपदाओं से सम्बन्धित प्रतिवादन के आईआरएस इन्सीडेन्ट रिस्पान्स सिस्टम पद्धति पर आयोजित किया गया जिसमें प्रत्येक जिले में एक आरओ रिस्पान्सबल आफिसर, एक आईसी इन्सीडेन्ट कामाण्डर तीन अन्य अधिकारी यथा नियोजन प्रभारी लाॅजिस्टिक प्रभारी एवं आपरेशन प्रभारी एवं उनसे सम्बन्धित स्टाफ को सम्मिलित किया गया। इस माॅक ड्रिल का मुख्य उद्वेश्य आपदा प्रबन्धन योजना की जानकारी रखना योजना के अनुरूप कार्य करना एवं योजना में कमियों का चिन्हीकरण कर भविष्य में ठीक करने के साथसाथ आपदा के दौरान समय पर किस प्रकार प्रतिवादन सुनिश्चित हो उसके लिए तैयारी करना है।
माॅक ड्रिल के दौरान देहरादून में भी चार जिलों के सहयोग के लिए परेड ग्राउण्ड में स्टेजिंग एरिया बनाया गया था जिसमें सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, होमगार्डस, पुलिस, पीएसी, सिविल डिफेंस, सभी मुख्य नोडल विभागों एवं स्वास्थ्य विभाग के टीमों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
भूकंप का पूर्वाभ्यास ठीक उसी प्रकार से किया गया जैसे वास्तविक तौर पर भूकम्प आने की स्थिति होती है। राज्य आपात परिचालन केन्द्र को 9:30 बजे सूचना मिली कि राज्य के चार जनपदों में भूकम्प के झटके महसूस किये गये। भूकम्प का केन्द्र बिन्दु जनपद बागेश्वर के नांगलकुड में बताया गया जिसकी तीव्रता 7.2 रियेक्टर स्केल मापी गयी। इसके बाद राज्य आपात परिचालन केन्द्र से सभी वरिष्ठ अधिकारियों व विभागों के नोडल अधिकारियों को सूचनाएं प्रेषित की गई। साथ ही जनपद चमोली, बागेश्वर, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में भी अलर्ट जारी किया गया।
लगभग 10 से 20 मिनट के अंदर सभी संबंधित अधिकारियों द्वारा भूकंप से संबंधित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य शुरू हेा गये। इसके साथ ही राज्य आपात परिचालन केन्द्र पर सभी प्रभावित चारों जनपदो से सूचनाएं एकत्रित की गई। जनपदों की मांग के अनुसार देहरादून इंसिडेंट कमाण्ड पोस्ट द्वारा मांग के अनुसार सामग्री तथा मानव संसाधन प्रभावी जनपदो को उपलब्ध कराए गए तथा गंभीर रूप से घायलों को हैलीकाप्टर से लाया गया जहां चिकित्सालय में उनका उपचार किया गया।
यह पूर्वाभ्यास लगभग 1 बजे तक संचालित किया गया। इसके बाद एनडीएमए और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के मध्य एक बैठक आयोजित की गई जिसमें पूर्वाभ्यास की समीक्षा की गई। समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव एसराजू सहित एनडीएमए के सदस्यगण उपस्थित थे। बैठक में विभिन्न विभागों के नोडल अधिकारियों द्वारा अपना अनुभव बताया गया। साथ ही कुछ सुझाव भी दिये गये।
सचिव दिलीप जावलकर जो चीफ लाॅजिस्टिक सेक्शन के प्रभारी थे ने एनडीएमए के सदस्यों को बताया कि इस प्रकार की स्थिति में कैसे और बेहतर तरीके से कार्य किया जा सकता है। प्रभावित क्षेत्रों से जिन चीजो की मांग की जाती है उनकी पूर्ति किस प्रकार से की जा सकती है। साथ ही राज्य सरकार के स्तर पर विभिन्न विभागों के साथ समन्वय कैसे बनाया जा सकता है।
एनडीएमए के सदस्य लेजन एन सी मारवाह ने बताया कि एनडीएमए हर प्रकार के सहयोग के लिए तैयार है। राज्य सरकार द्वारा जिस भी प्रकार की सहायता की मांग की जायेगी उसे उपलब्ध कराया जायेगा। बैठक में एनडीएमए के सदस्यों द्वारा बताया कि भूकंप जैसी स्थिति में संचार तंत्र बिजली और अन्य अवस्थापना सुविधाओं के ध्वस्त होने पर अन्य वैकल्पिक उपायों पर विचार किया जाना होगा। इसके लिए पूर्व से ठोस कार्ययोजना तैयार की जाय।
एनडीएमए के सदस्य मेजजन वी के दत्ता ने बताया कि आज यह पूर्वाभ्यास कार्यक्रम काफी सफल रहा है। उत्तराखण्ड सरकार के सहयोग से इस पूर्वाभ्यास को किया गया था। इसमें सभी अधिकारियों को बेहतर कार्य किया गया है। इससे हमें अनुभव मिलता है कि भविष्य में आपदा की स्थिति में किस प्रकार से रणनीति के तहत कार्य किया जाए जिससे आपदा को न्यूनीकरण करने में सहायक हो।
उत्तराखण्ड राज्य में किया गया पूर्वाभ्यास अन्य राज्यों के लिए माॅडल राज्य के रूप में रखा जायेगा। उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2013 की आपदा के बाद काफी सुधार किया है। आपदा से निपटने के लिए बेहतर तकनीक और तैयारियों का स्तर अन्य राज्यों से ऊंचा है। राज्य सरकार ने अच्छा काम किया है। अभी तक इस प्रकार के पूर्वाभ्यास जिला स्तर पर ही किये जाते थे। राज्य स्तर पर 4 जिलों में एक साथ ऐसा पूर्वाभ्यास पहली बार किया जा रहा है। जिसके लिए उन्होंने राज्य आपदा प्रबंधन की प्रशंसा की। सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी ने बताया कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद राज्य सरकार द्वारा काफी प्रयास किये गये है।
इस प्रकार के पूर्वाभ्यास से हमें अपनी तैयारियों को अपडेट करने का अवसर मिलता है। इस प्रकार के प्रकरण से निपटने के लिए जनजागरूता अभियान भी संचालित किये जायेंगे। इसके लिए सामुदायिक रेडियो का भी सहयोग लिया जा रहा है। साथ ही भारत सरकार से डाॅप्लर रडार और सेटेलाइट फोन के लिए भी अनुमति मांगी गई है जिस पर शीघ्र ही कार्यवाही की जायेगी। भारत सरकार से अनुमति मिलते ही 26 सैटेलाइट फोन क्रय किये जायेंगे। वायरलैस तंत्र को और अधिक मजबूत किया जा रहा है।
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