उत्तराखण्ड के विकास में पार्टनर बनें बैंक

देहरादून, 24 फरवरी। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा तैयार की जा रही सहकारी विलेज फार्मिंग में बैंक सहयोग करें। राज्य के विकास में पार्टनर बनें। महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया जाए। हुनर से प्रशिक्षितों को बैंक आसान ऋण उपलब्ध करवाएं। न्यू कैंट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 56 वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य के विकास में बैंकों को प्रोएक्टीव भूमिका निभानी होगी।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि पिछले दिनों नाबार्ड द्वारा जारी किए गए फोकस पेपर को आधार बनाकर सभी बैंक अगर अपने लिए कार्ययोजना बना लें तो कृषि व आजीविका दोनों में काम करने की काफी गुंजाईश है। हम क्लस्टर बेस्ड एग्रोनोमी की तरफ बढ़ रहे हैं। इस वर्ष हम किसानों की शेयर होल्डिंग के आधार पर सहकारी कम्पनी बनाकर क्लस्टर खेती की योजना बना रहे हैं। इसमें प्रारम्भिक पूंजी की जरूरत को बैंक पूरा कर सकते हैं। आजीविका मिशन में 7 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण की तर्ज पर यहां भी बैंक रियायती दर पर ऋण उपलब्घ करवाएं तो इससे सीमांत व लघु कृषक लाभान्वित होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजीविका मिशन में अभी तक बैंक बहुत आगे नहीं आए हैं। बैंक इसमें अपनी हिस्सेदारी निभाएं। सहकारी विलेज फार्मिंग की योजना सफल रहने पर बैंकों को भी ऋणजमा अनुपात में वृद्धि करने में सफलता मिलेगी। यह भी देखा जाए कि आजीविका मिशन में बैंकों की साझेदारी किस तरह हो सकती है। इसमें बैंकों को प्रोएक्टीव होने की जरूरत है।

रावत ने कहा कि पिछले दिनों स्टेट बैंक ने स्वयं सहायता समूहों को ऋण वितरण बड़े पैमाने पर किया था जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने सचिव अमित नेगी को अनुदान आधारित कार्ययोजना बनाने के लिए कहा कि किस प्रकार बैंकों का सहयोग लेते हुए स्वयं सहायता समूहों को पुनः सक्रिय किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि 50 प्रतिशत महिला स्वयं सहायता समूहों को भी सक्रिय कर दिया जाए तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आ सकता है। बैंक इसमें अपने सीएसआर की राशि का भी उपयोग कर सकते हैं। समावेशी विकास में बैंकों को अपने योगदान का मूल्यांकन करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने आरबीआई के अधिकारियों से भी आग्रह किया कि वर्ष 2013 के बाद से उत्तराखण्ड में विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण लोग अपना बैंक ऋण चुकाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। ऐसी योजना बनाई जाए कि ऋणी पर ज्यादा भार बढ़ाए बिना कैसे उनके द्वारा लिए ऋणों को रिशेड्यूल किया जा सकता है।

बैठक में बताया गया कि सभी बैंकों ने वार्षिक ऋण योजना वर्ष 201516 के निर्धारित लक्ष्य रूपए 14524 करोड़ के सापेक्ष दिसम्बर 2015 तक रूपए 9540 करोड़ की उपलब्धि हासिल की है जो कि लक्ष्य का 66 प्रतिशत है। राज्य का ऋण जमा अनुपात लगभग 58 प्रतिशत है। लघु एवं मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत माह जनवरी 2016 तक निर्धारित लक्ष्य रूपए 172839 करोड़ के सापेक्ष बैंकों द्वारा 97853 व्यक्तियों को रूपए 76536 करोड़ के ऋण वितरित किए गए हैं। बैंकों द्वारा अभी तक 672355 व्यक्तियों का आधार संख्या उनके बैंक खाते से जोड़ा जा चुका है।