उत्तराखण्ड में जैव विविधता के विकास की अपार सम्भावनाएं : रावत

देहरादून, 03 मार्च। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्रालय तथा कुमायूं विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलौजी विभाग की 27वीं अखिल भारतीय बायोमेट्रिक इन्फोरमेटिक दो दिवसीय कार्यशाला का उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया। इस कार्याशाला में देशभर के लगभग 150 बोयोट्रेक्नोलौजी क्षेत्र के वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे है।

कार्यशाला में उपस्थित वैज्ञानिकों एवं उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि विज्ञान की सीमायें अनंत हैं विज्ञान द्वारा मानव जाति के कल्याण के लिए अनेक अविष्कार किये गये हैं। उन्होंने कहा कि जैव विविधता उत्तराखण्ड की पहचान है। यहां के फल, सब्जी, दलहन, तिलहन, फूल, पौधे, वन, सब जैविक विविधता के द्योतक हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में काश्तकार आज भी रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद का प्रयोग करना पसन्द करते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जैव विविधता के विकास की अपार सम्भावनायें है।

उन्होंने कहा कि देश व दुनियां ने सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र मे आशातीत सफलता प्राप्त की है। देश-प्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत लोग मोबाइल फेसबुक एवं ईमेल संस्कृति से जुडे है। ऐसे में वैज्ञानिकों को अपने शोध व सुझावों को लोगों तक पहुचाने चाहिए। उन्होंने कहा बायोटेक्नोलौजी ऐसा साधन है जहां किसानों का उत्पादन बढेगा तथा रोजगार के नये अवसर भी सृजित होंगे।बायोटेक्नोलौजी के विकास एवं संवर्द्धन के लिए राज्य सरकार की ओर से सभी सुविधायें एवं संरक्षण प्रदान किया जायेगा।

मुख्यमंत्री रावत ने कुलपति कुमायूं विश्वविद्यालय प्रो0 एचएसधामी से कहा कि जल्द ही राज्य सरकार अपना बजट पेश करने जा रही है। उन्होंने प्रो0 धामी से बायोटेक्नोलौजी के सम्बन्ध में अपने सुझाव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही अपने सुझाव उनको उपलब्ध करायें ताकि पेश होने वाले बजट में बायोटेक्नोलौजी के लिए भी बजट में प्राविधान किया जा सकें। उन्होने बायोटेक्नोलौजी अध्यक्ष राजेश डोभाल की अध्यक्षता में एक विभागीय कमेटी गठन कराने के निर्देश के भी दिये।