उत्तर प्रदेश में गिरते भूजल स्तर पर रपट मांगी

नई दिल्ली, 9 अप्रैल | उत्तर प्रदेश में लगातार गिर रहे भूजल स्तर से यह माना जा रहा है कि राज्य में खाद्यान्न का कटोरा माने जाने वाले जिलों -बागपत, हाथरस, जालौन और जौनपुर- में खाद्यान्न के उत्पादन पर असर पड़ेगा। यह जानकारी अधिकारिक सूत्रों से मिली। उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में गिरते भूजल स्तर की खबरों का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस बारे में रपट मांगी है।

नाम नहीं छापने की शर्त पर केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “ऐसी खबरें मिल रही हैं कि बागपत, गाजियाबाद, वाराणसी, मेरठ, हाथरस, मथुरा, सहारनपुर, बांदा, जालौन, जौनपुर और हमीरपुर में भूजल स्तर में भारी गिरावट हुई है। यह इस बात का संकेत है कि भूजल के बेरोकटोक दोहन और सूख रही झीलों और तालाबों को बचाने के लिए अविलंब कदम उठाया जाना चाहिए।”

अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर राज्य सरकार की रपट का इंतजार कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, राज्य में भूजल स्तर में गिरावट चिंताजनक रूप ले रही है। यह गिरावट 20 से 30 प्रतिशत तक दर्ज की गई है और कहीं-कहीं तो इससे भी अधिक है।

मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि बेतरतीब विकास प्रतिमान और जल निकायों का पुनर्भरण नहीं होने से भूजल स्तर में तेजी से गिरावट हुई है।

सूखा और भूजल स्तर में गिरावट उत्तर प्रदेश के लिए कोई नई बात नहीं है। राज्य सरकार ने नवंबर 2015 में 75 में से 50 जिलों को सूखा प्रभावित घोषित किया था।

अधिकारी ने कहा, “वर्तमान स्थिति तुरंत सुधारात्मक उपायों की मांग कर रही है। इस संदर्भ में सरकार सभी उपायों पर विचार करेगी, जिनमें कुछ क्षेत्रों में प्रयोग के तौर पर किसानों को कुछ वर्षो तक धान की खेती की जगह सब्जियों और दलहन की खेती करने का सुझाव देना चाहिए।”

सूत्रों के अनुसार, कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयोग ने अपनी रपट में केद्र सरकार को इस आशय का सुझाव दिया था। क्योंकि धान की खेती में अधिक पानी खर्च होता है।

राष्ट्रीय स्तर पर भी पानी की स्थिति चिंताजनक है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, देश भर के 91 बड़े जलाशयों का जलस्तर एक दशक में सबसे निचले स्तर पर है।

इतना ही नहीं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखा या सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।