गाजीपुर, 8 अक्टूबर । समाजवादी पार्टी (सपा) प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव द्वारा कौमी एकता दल (कौएद) के विलय का ऐलान किए जाने के बाद पूरे पूर्वांचल की राजनीति में भूचाल आ गया है।
अंसारी बंधुओं के समर्थकों के खेमे में खुशी और अंसारी बंधुओं का विरोध करके अपनी राजनीति चमकाने वाले खेमे में गम का माहौल दिखाई दे रहा है। सबसे ज्यादा उत्साहित गाजीपुर, बलिया, मऊ, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़, बनारस आदि के विधायक और मंत्री दिखाई दे रहे हैं।
विधायकों का मानना है कि जो सपा के अंर्तकलह व पारिवारिक झगड़े में नुकसान हो गया था, अब डैमेज कंट्रोल हो गया है। कौमी एकता दल व सपा के एक साथ आ जाने पर पूर्वांचल के हर विधानसभा में लगभग 15 से 20 हजार वोट का इजाफा हुआ है, जो विधानसभा 2017 के चुनाव में नैया पार लगाने के लिए काफी है।
वहीं मुहम्मदाबाद विधानसभा के सपा प्रत्याशी राजेश कुशवाहा तथा अंसारी बंधुओं का विरोध करके राजनीति के सफर में आगे निकलने वाले अन्य दिग्गज नेताओं के खेमे में भी गम का माहौल है।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में शिवकन्या कुशवाहा के हार के बाद पुन: एक बार फिर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए अपने को तैयार कर रहे सपा के पूर्व सांसद राधे मोहन सिंह के खेमे में भी उदासी छाई हुई है, क्योंकि सपा में आने के बाद पूर्व सांसद अफजाल अंसारी लोकसभा 2019 के लिए सपा से अपनी प्रबल दावेदारी पेश करेंगे। उन्हें अल्पसंख्यक होने का भी लाभ मिलेगा।
सपा में अंसारी बंधुओं के विलय का सबसे ज्यादा विरोध पहले पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह करते थे, लेकिन बदले हुए राजनैतिक परिवेश में उन्होंने अपने गुरु मुलायम सिंह का चरखा दांव आजमाया और राजनीतिक जीत अपने पाले में कर लिया। पर्यटन मंत्री के समर्थक दो-तीन माह पहले से ही हर चट्टी-चौराहों पर कहना शुरू कर दिया था कि अंसारी बंधुओं के सपा में आने से उनका कोई विरोध नहीं है। यह मामला पार्टी हाईकमान तय करेंगे।
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि विधानसभा 2017 के चुनाव में पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह का क्षेत्र में काफी विरोध है, क्योंकि जर्जर सड़कें आदि समस्याओं को लेकर जनता काफी नाराज है। ऐसे में राजनीति के चतुर खिलाड़ी पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह अपने सबसे बड़े विरोधी मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी को अपने ही टाट पर बैठा लिया और सारा डैमेज कंट्रोल हो गया।
माफिया जगत में भी इस विलय की घटना पर काफी हलचल है, क्योंकि काफी समय से सरकार का विरोध कर मुख्तार अंसारी राजनीति कर रहे थे। इससे उनके आर्थिक साम्राज्य पर काफी प्रभाव पड़ा था।
उधर, उनके घोर विरोधी बृजेश सिंह चुनाव जीतकर एमएलसी बन गए और सत्ता के गलियारों में वह खुद अपनी बात रखने लगे हैं, जिससे मुख्तार अंसारी के साम्राज्य पर काफी प्रभाव पड़ रहा था। सपा के साथ मुख्तार अंसारी के आ जाने के बाद मुख्तार अंसारी फिर एक बार नई शक्ति पाकर वर्चस्व कायम रखेंगे।(आईएएनएस/आईपीएन)
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